राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक दीर्घकालिक और स्वैच्छिक पेंशन योजना है। इसका उद्देश्य भारतीय नागरिकों को अपने कार्यकाल के दौरान बचत करने और सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक रूप से सुरक्षित रखने के लिए प्रेरित करना है। NPS की खासियत इसकी लचीलापन, पोर्टेबिलिटी और नियमित आय की सुविधा है, जो इसे एक प्रभावी और उपयोगी पेंशन योजना बनाती है।
NPS खाते के प्रकार और अंशदान
NPS के तहत मुख्य रूप से दो प्रकार के खाते होते हैं: टियर I और टियर II खाते। इनमें से टियर I खाता मुख्य पेंशन खाता होता है, जिसमें अंशदान के जरिए सेवानिवृत्ति के लिए कोष तैयार किया जाता है।
इस खाते को सक्रिय रखने के लिए, एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 1000 रुपये का योगदान करना आवश्यक होता है। अगर यह न्यूनतम योगदान नहीं किया जाता है, तो खाता फ्रीज कर दिया जाता है। खाता पुनः सक्रिय करने के लिए सदस्य को फ्रीज की गई अवधि का कुल न्यूनतम अंशदान, चालू वर्ष का अंशदान और जुर्माना जमा करना होता है।
NPS खाता खोलने की प्रक्रिया
NPS खाता खोलने के लिए ग्राहक ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों माध्यमों का उपयोग कर सकते हैं। खाते को खोलने के लिए दो विकल्प होते हैं:
- विकल्प 1: आधार विवरण के जरिए खाता खोलना।
- विकल्प 2: पैन और केवाईसी विवरण के जरिए खाता खोलना, बशर्ते बैंक ईएनपीएस प्लेटफॉर्म में सूचीबद्ध हो।
ऑफलाइन खाता खोलते समय ग्राहक को पहचान का प्रमाण, पते का प्रमाण, जन्मतिथि का प्रमाण और एक पूरी तरह भरा हुआ पंजीकरण फॉर्म जमा करना होता है। ऑनलाइन खाता खोलने वालों के लिए आधार कार्ड का उपयोग करके प्रक्रिया सरल हो जाती है, जिसमें स्कैन की गई तस्वीर और हस्ताक्षर अपलोड करना वैकल्पिक होता है।
पोर्टेबिलिटी और योगदान के तरीके
NPS की पोर्टेबिलिटी इसका एक बड़ा लाभ है, जो इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर काम करने वालों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है। NPS खाते को कई क्षेत्रों और स्थानों में स्थानांतरित किया जा सकता है, और एक व्यक्ति को एक से अधिक खाते खोलने की आवश्यकता नहीं होती है।
सभी NPS अभिदाता अपने व्यक्तिगत रिटायरमेंट खाता संख्या (PRAN) में नेटबैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, या डेबिट कार्ड के माध्यम से योगदान कर सकते हैं। भुगतान शुरू करने के लिए सही PRAN का उपयोग करके, ओटीपी के जरिए प्रमाणीकरण करना होता है, जिससे प्रक्रिया सुरक्षित और सरल हो जाती है।