NPS Rule Change: नेशनल पेंशन स्कीम (NPS), जो 1 जनवरी 2004 को भारत के रिटायरमेंट प्लानिंग सेक्टर में शुरू हुई, ने रिटायरमेंट के लिए एक मजबूत वित्तीय आधार स्थापित करने में लोगों की मदद की है। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा निर्देशित इस योजना का मुख्य उद्देश्य व्यक्तियों को उनके कार्यकाल के दौरान पेंशन फंड में नियमित रूप से योगदान देने के लिए प्रेरित करना है।
नवीनतम परिवर्तन और उनके प्रभाव
- कर कटौती सीमा का विस्तार: हाल ही में, केंद्रीय बजट 2024 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने NPS में नियोक्ता योगदान के लिए कर कटौती सीमा को बढ़ाया है। पहले जहां यह 10% था, अब इसे बढ़ाकर 14% कर दिया गया है, जिससे कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का अतिरिक्त 4% बचत के रूप में प्राप्त होगा।
- निकासी नियमों में लचीलापन: 2024 में, NPS से निकासी के नियमों में महत्वपूर्ण ढील दी गई है। अब सब्सक्राइबर्स 60% की राशि तक कर-मुक्त रूप में निकाल सकते हैं, जबकि शेष 40% का इस्तेमाल एन्युटी प्लान खरीदने के लिए किया जाएगा। इससे रिटायरमेंट पर मिलने वाली धनराशि में वृद्धि होती है और वित्तीय सुरक्षा में सुधार होता है।
- निवेश आवंटन में विस्तार: NPS निवेश नियमों में भी सुधार किया गया है। अब निवेशक 60 वर्ष की आयु तक अधिकतम 75% तक इक्विटी एक्सपोजर में निवेश कर सकते हैं, जिससे उन्हें उच्च वृद्धि की संभावनाएं मिलती हैं।
- टियर-2 NPS खातों के लिए इक्विटी आवंटन: इसके अलावा, टियर-2 NPS खातों के लिए इक्विटी आवंटन की सीमा को 75% से बढ़ाकर 100% कर दिया गया है, जिससे निवेशकों को अधिक लाभ मिल सकता है।
- प्रत्यक्ष प्रेषण (डी-रेमिट) सेवा: प्रत्यक्ष प्रेषण सुविधा के जरिए, निवेशकों को अपने निवेश के लिए उसी दिन NVA (Net Asset Value) तक पहुँचने की सुविधा प्रदान की गई है, जो उनके निवेश की प्रभाविता को बढ़ाता है।
- संगठित एकमुश्त निकासी: फरवरी 2024 से, NPS ग्राहकों को आंशिक निकासी का विकल्प दिया गया है, जिसे बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए धन जुटाना, आवासीय संपत्ति खरीदना या बनाना, और चिकित्सा खर्चों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्राहक 60 से 75 वर्ष की आयु के बीच, समय-समय पर अपने NPS फंड का 60% तक निकालने के लिए संगठित एकमुश्त निकासी (SLW) चुन सकते हैं। शेष राशि का उपयोग एन्युटी योजना में निवेश के लिए किया जा सकता है।
नेशनल पेंशन स्कीम में ये नवीनतम बदलाव न केवल सब्सक्राइबर्स को अधिक लचीले निकासी विकल्प प्रदान करते हैं बल्कि उनके निवेश के विकल्पों को भी विस्तृत करते हैं। इसके अलावा, निवेशकों को दी गई कर सुविधाएँ और निवेश की उच्चतर योजनाएँ उनके रिटायरमेंट के फंड्स को और अधिक सुरक्षित और लाभकारी बनाती हैं।