भारत में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग एक महत्वपूर्ण पहलू है, और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) इस दिशा में एक कारगर योजना साबित हो रही है। यह सिस्टम उन्हें न केवल एक सुनिश्चित भविष्य निधि बल्कि एक स्थिर मासिक पेंशन प्रदान करने का वादा करता है। हालांकि, NPS फिक्स्ड पेंशन की गारंटी नहीं देता है, परंतु यदि समझदारी से और शुरुआती उम्र में निवेश किया जाए, तो यह आपके रिटायरमेंट को आरामदायक बना सकता है।
NPS के बुनियादी पहलू
निवेश की प्रक्रिया: NPS में निवेशकों को अपनी जमा राशि का कम से कम 40% पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा विनियमित एन्युटी सर्विस प्रोवाइडर (ASP) के पास एन्युटी खरीदने के लिए उपयोग करना होता है। शेष 60% राशि को एकमुश्त निकासी के रूप में टैक्स-फ्री निकाला जा सकता है।
अकाउंट के प्रकार: NPS में मुख्यतः दो प्रकार के अकाउंट होते हैं – टियर 1 और टियर 2। टियर 1 आपका मुख्य पेंशन अकाउंट है, जबकि टियर 2 एक स्वैच्छिक बचत खाता है। टियर 2 खाता खोलने के लिए टियर 1 अकाउंट होना अनिवार्य है।
मिलेगा टैक्स लाभ
NPS निवेश पर आपको सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट के अलावा, सेक्शन 80CCD (1B) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये पर भी टैक्स छूट का लाभ मिल सकता है। मैच्योरिटी पर 60% तक की राशि टैक्स-फ्री निकाली जा सकती है।
उदाहरण के तौर पर
यदि आप 25 वर्ष की आयु में NPS में निवेश शुरू करते हैं और 60 वर्ष की आयु तक 1.5 लाख रुपये की मासिक पेंशन और 4.54 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट फंड जमा करने का लक्ष्य रखते हैं, तो आपको महीने में लगभग 7,000 रुपये का निवेश करना होगा, जो कि 12% की वार्षिक दर से बढ़ोतरी करते हुए उल्लेखित लक्ष्य तक पहुंचाएगा।
निवेश के परिणाम
इस निवेश रणनीति से आपको मैच्योरिटी पर लगभग 1.82 करोड़ रुपये की एन्युटी और 2.72 करोड़ रुपये की एकमुश्त राशि प्राप्त हो सकती है, जिससे आप महीने में 1.5 लाख रुपये से अधिक की पेंशन प्राप्त कर सकते हैं।
इस प्रकार, NPS निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और लाभकारी रिटायरमेंट प्लानिंग टूल के रूप में उभर रहा है, जिससे वे अपने भविष्य को सुरक्षित और संपन्न बना सकते हैं।