बिहार की नीतीश सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनधारकों को नोशनल इन्क्रिमेंट (Notional Increment) का शानदार तोहफा दिया है। बिहार सेवा संहिता के नियम-83 एवं 85 के तहत वेतनवृद्धि का प्रावधान है, जिसमें वेतन वृद्धि की तारीखें 1 जनवरी और 1 जुलाई को होती हैं। राज्य के कर्मचारियों को नियुक्ति, प्रमोशन या वित्तीय उन्नयन की तारीख के आधार पर वार्षिक वेतन वृद्धि मिलती है।
नोशनल इन्क्रिमेंट के लिए प्रस्ताव
राज्य सरकार के कर्मियों को 01 जनवरी और 01 जुलाई को वार्षिक वेतनवृद्धि दी जाती है। लेकिन 31 दिसम्बर और 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को यह लाभ नहीं मिलता था, क्योंकि वे सेवा में नहीं होते। ऐसे कर्मचारियों की वैचारिक वेतनवृद्धि की मांग को लेकर कई प्रस्ताव सरकार के पास आ रहे थे।
सर्वोच्च न्यायालय का आदेश
सर्वोच्च न्यायालय ने 11 अप्रैल 2023 को Civil Appeal No. 2471/2023 में आदेश दिया कि 30 जून और 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त होने वाले राज्य कर्मियों को पेंशन और अन्य लाभों की गणना के लिए वैचारिक वेतन वृद्धि दी जानी चाहिए।
न्यायिक अधिकारियों पर पहले से लागू
वित्त विभाग के संकल्प संख्या-6649, दिनांक-28/07/2023 के अनुसार, यह प्रावधान पहले सेवानिवृत्त न्यायिक पदाधिकारियों पर लागू था, लेकिन अन्य कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिलता था।
सभी कर्मचारियों के लिए सरकार का आदेश
राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि 11 अप्रैल 2023 के बाद 30 जून और 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त सभी सरकारी सेवकों को पेंशन एवं अन्य लाभों की गणना के लिए वैचारिक वेतनवृद्धि का लाभ मिलेगा। इस आदेश को बिहार राजपत्र के अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा।
केंद्र सरकार को भी लागू करनी चाहिए यह व्यवस्था
यहां यह जानना जरूरी है कि 11 अप्रैल 2023 के बाद रिटायर हुए या होने वाले कर्मचारियों को ही इसका लाभ मिलेगा। इससे पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को यह लाभ नहीं मिलेगा। जब राज्य सरकारें इस तरह का फायदा दे सकती हैं, तो केंद्र सरकार को भी इस पर निर्णय लेते हुए सभी कर्मचारियों को इसका लाभ देना चाहिए।
केन्द्र सरकार पेंशनर्स को उपेक्षित कर रही है
साथ में राजस्थान सरकार भी केन्द्र सरकार के मुखिया की भजन कर रही है बड़ी विचित्र स्थिति है एक ही देश में पेंशनर्स में भेदभाव क्यों ?