EPS-95 पेंशनर्स के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, पेंशन बढ़ाने के साथ स्वास्थ्य सुविधा की भी मांग

65 साल से ऊपर के लाखों पेंशनर्स मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं और पेंशन बढ़ोतरी के लिए कर रहे हैं राष्ट्रीय आंदोलन। क्या सरकार उनकी मांगें मानेगी या आंदोलन बनेगा चुनावी चुनौती? जानें EPS-95 पेंशनर्स की इस बड़ी लड़ाई का हर पहलू

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Written by Rohit Kumar

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EPS-95 पेंशनर्स के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, पेंशन बढ़ाने के साथ स्वास्थ्य सुविधा की भी मांग
EPS-95 पेंशनर्स के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, पेंशन बढ़ाने के साथ स्वास्थ्य सुविधा की भी मांग

EPS-95 (Employees’ Pension Scheme, 1995) के पेंशनर्स ने अपनी प्रमुख मांगों में से एक मुफ्त चिकित्सा सुविधाओं को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है। उम्र के इस पड़ाव पर, जहां अधिकांश पेंशनर्स की उम्र 65 वर्ष से अधिक है, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और बढ़ते चिकित्सा खर्च उनके लिए गंभीर समस्या बन गए हैं। पेंशनर्स का कहना है कि ₹1,450 की औसत मासिक पेंशन में न तो वे अपने दैनिक खर्च चला पा रहे हैं और न ही स्वास्थ्य देखभाल का खर्च उठा पा रहे हैं।

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मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग क्यों है जरूरी?

EPS-95 पेंशन योजना के तहत आने वाले लाखों पेंशनर्स का मानना है कि बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं, लेकिन उनकी पेंशन इतनी कम है कि वे इन खर्चों को कवर नहीं कर सकते। पेंशनर्स की औसत उम्र 65 वर्ष से अधिक होने के कारण, उन्हें कई बार गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ₹1,450 की पेंशन में दवाइयां, नियमित चेकअप और उपचार करना असंभव हो जाता है।

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कई पेंशनर्स ने बताया कि उन्हें चिकित्सा खर्चों के लिए कर्ज लेना पड़ता है। यह स्थिति उनके लिए आर्थिक रूप से बोझिल और असहनीय हो गई है। पेंशनर्स का कहना है कि मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं मिलने से न केवल उनका आर्थिक दबाव कम होगा, बल्कि वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ जीवन जी सकेंगे।

NAC ने बढ़ाई पेंशनर्स की आवाज

नेशनल एगिटेशन कमेटी (NAC) के अध्यक्ष अशोक राउत ने कहा कि EPS-95 पेंशनर्स पिछले लंबे समय से सरकार से न सिर्फ पेंशन बढ़ाने की बल्कि मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं देने की भी मांग कर रहे हैं। हालांकि, अब तक सरकार ने इस मांग पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। NAC ने सरकार को बार-बार याद दिलाया है कि पेंशनर्स की यह मांग केवल एक वित्तीय मुद्दा नहीं है, बल्कि उनके सम्मानजनक जीवन का सवाल है।

सरकार का रुख और आश्वासन

सरकार ने पेंशनर्स की मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है। केंद्रीय श्रम मंत्री ने NAC के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और पेंशन बढ़ाने और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग पर गंभीरता से विचार करने की बात कही। हालांकि, NAC का कहना है कि अब तक यह आश्वासन केवल वादों तक ही सीमित रहा है।

पेंशनर्स का यह भी कहना है कि सरकार की निष्क्रियता उनकी समस्याओं को और बढ़ा रही है। वे अब आंदोलन तेज करने की तैयारी में हैं।

स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग का राजनीतिक असर

EPS-95 पेंशनर्स का आंदोलन अब राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण बन गया है। विपक्षी दलों ने पेंशनर्स की मांगों का समर्थन किया है। कांग्रेस, NCP और अन्य विपक्षी नेताओं ने NAC के साथ बैठक कर इसे संसद में उठाने का वादा किया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर सरकार ने जल्द ही इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन और बड़ा हो सकता है। आगामी चुनावों में भी यह सरकार के लिए एक चुनौती बन सकता है।

भविष्य में आंदोलन की दिशा

EPS-95 पेंशनर्स के आंदोलन का अगला कदम इसे व्यापक स्तर पर ले जाना है। NAC ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो लाखों पेंशनर्स सड़कों पर उतरेंगे। पेंशनर्स का कहना है कि उनकी मांगें केवल वित्तीय नहीं हैं, बल्कि यह उनकी गरिमा और बुनियादी जरूरतों का सवाल है।

आंदोलन की बढ़ती तीव्रता को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि EPS-95 पेंशनर्स की मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग अब केवल एक मुद्दा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गई है। अगर सरकार ने जल्द ही इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो इसके राजनीतिक और सामाजिक परिणाम निश्चित हैं।

EPS-95 पेंशनर्स की यह लड़ाई उनके हक और गरिमा के लिए है, जिसे अब नकारा नहीं जा सकता। सरकार को इसे गंभीरता से लेकर जल्द समाधान निकालने की जरूरत है।

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