
सरकारी नौकरी में हाउस रेंट अलाउंस यानी HRA एक अहम भत्ता होता है, जिसे कर्मचारी के रहने के खर्च को देखते हुए वेतन का हिस्सा बनाया जाता है। अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या आपको HRA पूरी तरह से मिल रहा है या नहीं। इस सवाल का जवाब जानने के लिए जरूरी है कि आप HRA की गणना की सही प्रक्रिया को समझें और देखें कि क्या आपकी वर्तमान स्थिति में मिलने वाला HRA मानकों के अनुसार है या नहीं।
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किन्हें कितना मिलता है HRA?
सरकारी सेवा में HRA की दरें कार्यस्थल की श्रेणी पर निर्भर करती हैं। अगर आप किसी मेट्रो शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई या कोलकाता में तैनात हैं तो आपको बेसिक सैलरी का 24% HRA के रूप में मिलता है। यदि आप श्रेणी-B शहर में काम कर रहे हैं तो यह दर 16% हो जाती है और छोटे शहरों या ग्रामीण इलाकों में कार्यरत कर्मचारियों को HRA बेसिक वेतन का 8% मिलता है। ये प्रतिशत 7वें वेतन आयोग के अनुसार तय किए गए हैं और समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा संशोधित किए जाते हैं।
HRA छूट पर टैक्स कैसे बचता है?
आयकर अधिनियम की धारा 10(13A) के तहत वेतनभोगियों को HRA पर टैक्स छूट मिलती है, लेकिन यह छूट कितनी मिलेगी, इसका निर्धारण तीन मुख्य कारकों से होता है। पहला—आपको प्राप्त वास्तविक HRA, दूसरा—भुगतान किया गया वास्तविक किराया जो आपके बेसिक सैलरी के 10% से अधिक हो, और तीसरा—बेसिक वेतन का 50% (अगर मेट्रो शहर में रहते हैं) या 40% (अगर गैर-मेट्रो शहर में रहते हैं)। इन तीनों में से जो राशि सबसे कम होगी, वही टैक्स छूट के लिए योग्य मानी जाएगी।
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HRA कैलकुलेशन का उदाहरण जो समझ में आए
मान लीजिए एक सरकारी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹30,000 है और उसे ₹12,000 मासिक HRA मिल रहा है। वह ₹15,000 मासिक किराया चुका रहा है और वह दिल्ली में कार्यरत है। तो इस स्थिति में HRA की छूट की गणना इस प्रकार होगी—उसे सालभर में ₹1,44,000 का HRA मिला, जबकि वास्तविक किराया ₹1,80,000 रहा। बेसिक सैलरी का 10% यानी ₹36,000 घटाने पर ₹1,44,000 की राशि टैक्स छूट के लिए योग्य होगी क्योंकि यह तीनों में सबसे कम है।
आवश्यक दस्तावेज और शर्तें
HRA पर टैक्स छूट पाने के लिए यह जरूरी है कि आपके पास किराए की रसीदें हों। यदि सालाना किराया ₹1,00,000 से अधिक है तो मकान मालिक का PAN नंबर देना अनिवार्य होता है। इसके अलावा, कुछ कर्मचारी अपने माता-पिता को किराया देकर भी टैक्स छूट का लाभ उठाते हैं, बशर्ते कि वे इसे अपनी इनकम में दिखाएं। अगर आप स्व-नियोजित हैं और HRA नहीं मिलता, तब भी आप धारा 80GG के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
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