
सरकारी नौकरी में कार्यरत कर्मचारियों के लिए प्रमोशन न केवल करियर में उन्नति का प्रतीक है, बल्कि इससे सैलरी में भी महत्वपूर्ण वृद्धि होती है। इस लेख में, हम सरकारी नौकरी में प्रमोशन के साथ सैलरी वृद्धि की प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे, जिसमें वेतन मैट्रिक्स, पे लेवल, फिटमेंट फैक्टर, और अन्य महत्वपूर्ण तत्व शामिल हैं।
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वेतन मैट्रिक्स और पे लेवल का परिचय
सरकारी कर्मचारियों का वेतन ‘पे मैट्रिक्स’ के आधार पर निर्धारित होता है, जिसे 7वें वेतन आयोग द्वारा प्रस्तुत किया गया था। यह मैट्रिक्स विभिन्न ‘पे लेवल’ में विभाजित है, जो कर्मचारी के पद और ग्रेड के अनुसार तय होते हैं। प्रत्येक पे लेवल में कई स्टेप्स होते हैं, जो वेतन वृद्धि को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, लेवल 1 से लेवल 18 तक विभिन्न पदों के लिए वेतन संरचना निर्धारित की गई है।
प्रमोशन के समय वेतन निर्धारण की प्रक्रिया
प्रमोशन के समय, कर्मचारी का वर्तमान बेसिक पे लिया जाता है और उसमें 3% की वेतन वृद्धि जोड़ी जाती है। इसके बाद, उसे अगले पे लेवल में फिट किया जाता है। यदि प्रमोशन के बाद नया वेतन, अगले पे लेवल में उपलब्ध नहीं होता है, तो उसे निकटतम उच्चतम सेल में रखा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का वर्तमान बेसिक पे ₹29,200 है और उसे प्रमोशन मिलता है, तो 3% वृद्धि के बाद यह ₹30,076 होगा, जिसे निकटतम उच्चतम सेल में ₹30,500 पर फिट किया जाएगा।
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फिटमेंट फैक्टर का महत्व
फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक है, जिससे पुराने वेतन को नए वेतन में परिवर्तित किया जाता है। 7वें वेतन आयोग में यह 2.57 निर्धारित किया गया था, जिससे कर्मचारियों के वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। आगामी 8वें वेतन आयोग में इसे बढ़ाकर 2.86 करने का प्रस्ताव है, जिससे बेसिक पे में और वृद्धि होगी।
भत्तों में परिवर्तन
बेसिक सैलरी में वृद्धि के साथ-साथ, महंगाई भत्ता (Dearness Allowance – DA), मकान किराया भत्ता (House Rent Allowance – HRA) आदि भी बढ़ते हैं, क्योंकि ये भत्ते बेसिक सैलरी के प्रतिशत के रूप में दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि बेसिक सैलरी बढ़ती है, तो DA और HRA भी उसी अनुपात में बढ़ेंगे, जिससे कुल सैलरी में वृद्धि होगी।
वेतन निर्धारण के विकल्प
कर्मचारी के पास प्रमोशन के समय वेतन निर्धारण की तिथि चुनने का विकल्प होता है। वह या तो तत्काल प्रभाव से वेतन निर्धारण करवा सकता है या अपनी अगली वार्षिक वेतन वृद्धि की तिथि से। यह विकल्प कर्मचारी की वित्तीय योजना और भविष्य की वेतन वृद्धि पर निर्भर करता है।
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