
भारत में पेंशनभोगियों के बीच यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या 65 वर्ष की उम्र पार करते ही पेंशन में स्वतः वृद्धि होती है? पेंशन एक स्थायी सामाजिक सुरक्षा साधन है, लेकिन इसमें वृद्धि केवल कुछ निर्धारित आयु सीमा के बाद ही होती है। केंद्र सरकार की नीति के अनुसार, पेंशन में पहली अतिरिक्त वृद्धि 80 वर्ष की उम्र में दी जाती है, जबकि कुछ राज्य सरकारें 65 वर्ष की आयु के बाद ही अतिरिक्त लाभ देने की व्यवस्था करती हैं।
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केंकब और कैसे बढ़ती है पेंशन?
केंद्र सरकार के अधीन पेंशनभोगियों के लिए 80 वर्ष की आयु से पहले तक मूल पेंशन में कोई अतिरिक्त वृद्धि नहीं होती। 80 वर्ष की आयु पूरी करते ही पेंशन में 20% की अतिरिक्त बढ़ोतरी की जाती है। इसके बाद 85, 90, 95 और 100 वर्ष की आयु पर क्रमशः 30%, 40%, 50% और 100% तक पेंशन में इजाफा होता है। यह व्यवस्था 6वें वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित है और वृद्धावस्था में आने वाली स्वास्थ्य एवं आर्थिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।
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65 वर्ष पर पेंशन बढ़ाने की सिफारिशें
2016 और फिर 2021 में संसद की स्थायी समिति ने यह प्रस्ताव दिया कि पेंशनभोगियों को 65 वर्ष से ही अतिरिक्त पेंशन दी जानी चाहिए। प्रस्ताव में 65 वर्ष की आयु पर 5%, 70 पर 10%, 75 पर 15% और 80 पर 20% की वृद्धि शामिल थी। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे वित्तीय बोझ का हवाला देते हुए खारिज कर दिया। समिति ने 2022 में यह स्पष्ट कर दिया कि वह इस विषय को आगे नहीं बढ़ा रही है।
राज्य सरकारों की पहल
हालांकि केंद्र सरकार ने इस सुझाव को नकार दिया, परंतु कुछ राज्य सरकारों ने 65 वर्ष की आयु से पेंशन बढ़ाने की पहल की है। हिमाचल प्रदेश इसका प्रमुख उदाहरण है। वहाँ की राज्य सरकार ने 2014 में यह नीति लागू की कि 65, 70 और 75 वर्ष की आयु पर क्रमशः 5%, 10% और 15% की अतिरिक्त पेंशन दी जाएगी। यह अतिरिक्त भत्ता पेंशन की मूल राशि पर आधारित होता है और इसे राज्य के अपने बजट से वहन किया जाता है। यह केंद्र की अतिरिक्त पेंशन से अलग और अतिरिक्त लाभ है।
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