भारतीय सरकार ने हाल ही में यूनीफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की शुरुआत की है, जिसे केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में प्रस्तुत किया। इस योजना का उद्देश्य नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और पुरानी पेंशन योजना (OPS) की विशेषताओं को संशोधित कर एक अधिक समावेशी और लाभकारी प्रणाली प्रदान करना है।
UPS की मुख्य विशेषताएं
सरकारी योगदान और लाभ: UPS के तहत, सरकारी कर्मचारियों को उनके मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10% कर्मचारी द्वारा और 18.5% सरकार द्वारा योगदान किया जाएगा, जो कि एक उच्च स्तरीय योगदान सुनिश्चित करता है।
न्यूनतम पेंशन गारंटी: UPS योजना 25 वर्षों की सेवा के बाद कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में गारंटी देती है, साथ ही 10 साल की न्यूनतम सेवा पर 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन सुनिश्चित करती है।
क्यों उठ रहे विवाद?
वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि UPS को NPS के विकल्प के रूप में पेश नहीं किया गया है बल्कि यह एक स्वतंत्र योजना है जो वर्तमान और पुरानी योजनाओं से अलग है। इस बात को लेकर विपक्षी दलों में कुछ भ्रम और विवाद भी उत्पन्न हुए हैं, जिन्होंने इसे सरकार का यू-टर्न बताया। हालांकि, सरकार इसे एक सुधारात्मक कदम के रूप में प्रस्तुत कर रही है जिससे अधिकांश सरकारी कर्मचारियों को लाभ होगा।
संभावनाएं और चुनौतियां
UPS के आगे बढ़ने की संभावनाओं में यह शामिल है कि अधिकांश राज्य सरकारें इसे अपना सकती हैं, जिससे NPS में शामिल करीब 90 लाख कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सकता है। यह योजना सरकारी कर्मचारियों को एक सुरक्षित और स्थिर पेंशन सुनिश्चित करती है, जो कि उनके वृद्धावस्था की आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा देगी।
यूनीफाइड पेंशन स्कीम की शुरुआत न केवल एक वित्तीय नवाचार है बल्कि यह भारतीय सरकारी कर्मचारियों के लिए एक दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।