
भारत सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता (Dearness Allowance – DA) प्रदान करती है, जो उनके वेतन में महंगाई के प्रभाव को कम करने का काम करता है। यह भत्ता मूल वेतन का एक निश्चित प्रतिशत होता है और सरकार इसे समय-समय पर संशोधित करती है। महंगाई भत्ते की दर में बदलाव से कर्मचारियों की सैलरी में भी बढ़ोतरी होती है, जिससे उनकी क्रय शक्ति को बनाए रखा जा सके।
डीए संशोधन की प्रक्रिया
महंगाई भत्ते का संशोधन हर छह महीने में किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कर्मचारियों की सैलरी लगातार महंगाई के प्रभाव के हिसाब से बढ़ती रहे। सरकार यह संशोधन जनवरी और जुलाई में करती है, जो क्रमशः 1 जनवरी और 1 जुलाई से लागू होता है। उदाहरण के तौर पर, 16 अक्टूबर 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महंगाई भत्ते में 3% की वृद्धि को मंजूरी दी, जिससे यह 50% से बढ़कर 53% हो गया। यह बढ़ोतरी सरकारी कर्मचारियों को अतिरिक्त राहत देती है, जिससे उनकी सैलरी में एक निश्चित सुधार होता है।
डीए संशोधन से सैलरी में बढ़ोतरी
महंगाई भत्ते की वृद्धि सीधे तौर पर कर्मचारियों की सैलरी को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी की मूल सैलरी ₹18,000 प्रति माह है, तो 53% डीए के साथ उन्हें ₹9,540 का महंगाई भत्ता मिलता है। यदि यह बढ़कर 55% हो जाता है, तो महंगाई भत्ता ₹9,900 हो जाएगा, जिससे सैलरी में ₹360 की अतिरिक्त बढ़ोतरी होगी। यह वृद्धि कर्मचारियों को महंगाई से लड़ने में मदद करती है और उनके जीवनस्तर को बेहतर बनाती है।
एरियर भुगतान
डीए की बढ़ोतरी के साथ, कर्मचारियों को पिछली अवधि का एरियर भी दिया जाता है। मान लीजिए कि जनवरी 2025 में डीए में 2% की वृद्धि की गई, जो 1 जनवरी 2025 से लागू होती है। इसके परिणामस्वरूप, कर्मचारियों को जनवरी, फरवरी और मार्च के एरियर के रूप में अतिरिक्त राशि प्राप्त होती है। इस एरियर भुगतान से कर्मचारियों को कुछ अतिरिक्त वित्तीय राहत मिलती है, जो उनके वित्तीय संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है।
भविष्य में संभावित परिवर्तन
आने वाले समय में, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, महंगाई भत्ता को मूल वेतन में समाहित किया जा सकता है। इससे महंगाई भत्ते की अलग से गणना की आवश्यकता नहीं होगी, और यह कर्मचारियों की सैलरी संरचना को प्रभावित करेगा। हालांकि, इस परिवर्तन की सटीक समयसीमा अभी तक निर्धारित नहीं की गई है।