Gratuity के ये 5 नियम हर नौकरीपेशा को जानने ही चाहिए – नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान

ग्रेच्युटी एक ऐसा फाइनेंशियल टूल है, जो आपकी वर्षों की सेवा को एक ठोस आर्थिक लाभ में बदलता है। Payment of Gratuity Act, 1972 के तहत संरक्षित यह लाभ, रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ते समय आपके भविष्य को आर्थिक सुरक्षा देता है।

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Written by Rohit Kumar

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Gratuity के ये 5 नियम हर नौकरीपेशा को जानने ही चाहिए – नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान
Gratuity के नियम

अगर आप किसी कंपनी में वर्षों से काम कर रहे हैं, तो ग्रेच्युटी (Gratuity) आपके भविष्य की वित्तीय स्थिरता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है। यह एक प्रकार का फाइनेंशियल बेनिफिट है जो कंपनी अपने कर्मचारियों को उनकी दीर्घकालिक सेवा के बदले देती है। भारत में इसे Payment of Gratuity Act, 1972 के अंतर्गत नियंत्रित किया जाता है, जो सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी को रिटायरमेंट, इस्तीफा या अन्य कारणों से सेवा समाप्त होने पर एकमुश्त राशि मिले।

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कब और कैसे बनते हैं ग्रेच्युटी के हकदार?

किसी कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ लेने के लिए कम से कम 5 साल तक एक ही कंपनी में निरंतर सेवा देना आवश्यक होता है। हालांकि, यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या वह स्थायी रूप से अक्षम हो जाता है, तो यह समय सीमा लागू नहीं होती और उसे या उसके नामित व्यक्ति को ग्रेच्युटी दी जाती है।

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किन्हें मिलता है ग्रेच्युटी का लाभ?

यह लाभ उन सभी कर्मचारियों को प्राप्त होता है जो फैक्ट्री, माइन, दुकान, प्लांटेशन या किसी अन्य संस्थान में कार्यरत हैं, जहां कम से कम 10 कर्मचारी कार्यरत हैं। ग्रेच्युटी की राशि तब दी जाती है जब कर्मचारी रिटायर होता है, इस्तीफा देता है, उसकी नौकरी समाप्त की जाती है, या फिर उसकी मृत्यु या विकलांगता हो जाती है।

कैसे होती है ग्रेच्युटी की गणना?

ग्रेच्युटी की गणना कर्मचारी की अंतिम प्राप्त बेसिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस तथा सेवा अवधि के आधार पर की जाती है। इसके लिए दो अलग-अलग फॉर्मूले होते हैं:

Gratuity Act के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी के लिए:

Gratuity = (Last Drawn Salary × 15 × Number of Years of Service) / 26

उदाहरण: यदि किसी कर्मचारी की अंतिम सैलरी ₹50,000 थी और उसने 10 वर्ष काम किया, तो:

(50,000 × 15 × 10) / 26 = ₹2,88,461.54

Gratuity Act से बाहर के कर्मचारियों के लिए:

Gratuity = (Last Drawn Salary × 15 × Number of Years of Service) / 30

इस गणना में महीने के 30 दिन माने जाते हैं, जिससे ग्रेच्युटी की राशि अपेक्षाकृत कम होती है।

क्या ग्रेच्युटी पर टैक्स देना पड़ता है?

सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली पूरी ग्रेच्युटी टैक्स-फ्री होती है। वहीं प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए Gratuity Act के तहत ₹20 लाख तक की राशि टैक्स फ्री होती है। जो कर्मचारी इस एक्ट के दायरे में नहीं आते, उन्हें तीन शर्तों में से जो भी सबसे कम हो, उस पर टैक्स छूट मिलती है:

  1. वास्तविक मिली ग्रेच्युटी राशि
  2. ₹20 लाख
  3. कैलकुलेटेड ग्रेच्युटी

ग्रेच्युटी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • ग्रेच्युटी की राशि कर्मचारी की सैलरी से नहीं काटी जाती, बल्कि इसे कंपनी खुद वहन करती है।
  • 5 साल की सेवा में पेड लीव और मैटरनिटी लीव को भी शामिल किया जाता है।
  • कर्मचारी अपनी ग्रेच्युटी के लिए नॉमिनी नामित कर सकता है ताकि ज़रूरत पड़ने पर यह राशि उसके परिवार को मिल सके।
  • अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु या गंभीर विकलांगता हो जाती है, तो कंपनी तत्काल ग्रेच्युटी जारी करती है, भले ही उसकी सेवा अवधि 5 वर्ष से कम हो।

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