CTC में शामिल होती है Gratuity? जानिए सैलरी स्ट्रक्चर पर क्या पड़ता है असर और कैसे होता है पूरा कैलकुलेशन

ग्रेच्युटी-Gratuity एक लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल बेनिफिट है जो 5 साल या उससे अधिक सेवा देने पर कर्मचारी को मिलता है। इसकी गणना अंतिम बेसिक सैलरी और कुल सेवा अवधि के आधार पर होती है। CTC में यह आमतौर पर 4.81% के रूप में शामिल होती है। ग्रेच्युटी न केवल एक आर्थिक सहायता है, बल्कि यह उस कर्मचारी की निष्ठा का प्रतीक भी है।

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Written by Rohit Kumar

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CTC में शामिल होती है Gratuity? जानिए सैलरी स्ट्रक्चर पर क्या पड़ता है असर और कैसे होता है पूरा कैलकुलेशन
Gratuity

जब किसी पेशेवर को नया ऑफर लेटर मिलता है, तो सबसे पहले उसकी नजर CTC यानी Cost to Company पर जाती है। इस CTC में कई कंपोनेंट शामिल होते हैं—जैसे बेसिक सैलरी, HRA, PF, और ग्रेच्युटी-Gratuity। हालांकि PF यानी कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) की कैलकुलेशन आसान होती है, लेकिन ग्रेच्युटी की गणना थोड़ा पेचीदा विषय हो सकता है। ग्रेच्युटी सिर्फ एक रकम नहीं, बल्कि उस विश्वास और स्थायित्व का इनाम है, जो एक कर्मचारी कंपनी के साथ सालों तक निभाता है।

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क्या होती है ग्रेच्युटी-Gratuity और कौन होता है इसके लिए पात्र?

ग्रेच्युटी एक ऐसा फाइनेंशियल बेनिफिट है, जो कंपनी द्वारा उस कर्मचारी को दिया जाता है जिसने कम से कम पांच साल तक लगातार सेवा की हो। यह भारत सरकार द्वारा पारित “पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972” के तहत आता है। यह राशि एकमुश्त दी जाती है और यह रिटायरमेंट, इस्तीफा, मृत्यु या स्थाई अपंगता के मामलों में दी जा सकती है।

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ग्रेच्युटी की कैलकुलेशन कैसे होती है?

ग्रेच्युटी की गणना कर्मचारी की अंतिम बेसिक सैलरी के आधार पर की जाती है। इसका फॉर्मूला है:

ग्रेच्युटी = अंतिम मंथली बेसिक सैलरी × (15/26) × कार्यकाल (सालों में)

यहां 15 दिन की सैलरी का औसत 26 कार्यदिवस के आधार पर लिया गया है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं:

मान लीजिए किसी कर्मचारी की सालाना बेसिक सैलरी ₹6,00,000 है।
मंथली बेसिक = ₹6,00,000 ÷ 12 = ₹50,000
कार्यकाल = 10 वर्ष

अब कैलकुलेशन होगी:
ग्रेच्युटी = ₹50,000 × 15/26 × 10 = ₹2,88,460

इस तरह, 10 साल तक सेवा देने वाले कर्मचारी को करीब ₹2.88 लाख की ग्रेच्युटी मिलती है।

ऑफर लेटर में ग्रेच्युटी को कैसे दर्शाया जाता है?

अधिकांश कंपनियां अपने ऑफर लेटर में ग्रेच्युटी को सालाना बेसिक सैलरी का 4.81% मानती हैं। इसका मकसद यह दिखाना होता है कि यह भी कर्मचारी के फायदों में शामिल है, भले ही यह तात्कालिक रूप से बैंक अकाउंट में न आए।

उदाहरण:
ग्रेच्युटी = 4.81% × ₹6,00,000 = ₹28,860 प्रति वर्ष

क्या सैलरी बढ़ने से ग्रेच्युटी भी बढ़ती है?

हां, बिल्कुल। चूंकि ग्रेच्युटी की गणना अंतिम बेसिक सैलरी पर होती है, इसलिए जब भी आपकी सैलरी में वृद्धि होती है, आपकी संभावित ग्रेच्युटी अमाउंट भी उसी अनुपात में बढ़ जाती है। इसका सीधा असर रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने के समय मिलने वाली राशि पर पड़ता है।

CTC में ग्रेच्युटी का क्या महत्व है?

यह जानना जरूरी है कि ग्रेच्युटी मंथली सैलरी का हिस्सा नहीं होती, बल्कि यह एक लॉन्ग टर्म बेनिफिट है। यह उस समय काम आता है जब आप कंपनी छोड़ते हैं या सेवानिवृत्त होते हैं। इसलिए इसे CTC में देखना और समझना उतना ही जरूरी है जितना बाकी कंपोनेंट्स को।

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