
भारत एक ऐसा देश है जहाँ सेना और सुरक्षा बलों में कार्यरत जवानों को अत्यधिक सम्मान दिया जाता है। जब कोई जवान देश की सेवा में शहीद होता है, तो सरकार यह सुनिश्चित करती है कि उसके परिवार को ना सिर्फ आर्थिक रूप से सहयोग मिले, बल्कि उन्हें सामाजिक सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का भी आधार मिले।
शहीद जवानों के परिवारों के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई स्तरों पर सहायता प्रदान करती हैं, जो उनकी स्थिति, सेवा की प्रकृति और मृत्यु के कारणों पर निर्भर करती है। इस लेख में हम इस पूरे विषय को व्यापक रूप से समझेंगे, जिसमें नियमित सैनिकों, अग्निवीरों, पेंशन योजनाओं और शिक्षा-रोज़गार में मिलने वाली सहायता को शामिल किया गया है।
नियमित सैनिकों के परिवारों को केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता
जब कोई नियमित सैनिक देश की सेवा के दौरान शहीद होता है, तो केंद्र सरकार की ओर से उनके परिवार को निम्नलिखित महत्वपूर्ण सहायता उपलब्ध कराई जाती है:
1. अनुग्रह राशि (Ex-Gratia Payment):
यह राशि जवान की मृत्यु की परिस्थितियों पर निर्भर करती है। यदि मृत्यु सामान्य ड्यूटी के दौरान हुई है तो राशि ₹25 लाख तक हो सकती है, लेकिन अगर यह युद्ध, आतंकवाद या सीमा संघर्ष के दौरान हुई हो, तो यह ₹45 लाख तक जाती है। यह एकमुश्त भुगतान होता है जो सीधे शहीद के परिवार को दिया जाता है।
2. विशेष पेंशन योजनाएं:
केंद्र सरकार दो तरह की पारिवारिक पेंशन प्रदान करती है:
- Special Family Pension: यदि जवान की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई है, तो परिवार को अंतिम वेतन का 60% मासिक पेंशन के रूप में मिलता है।
- Liberalized Family Pension: यदि जवान की मृत्यु युद्ध, आतंकवादी हमले या सीमा पर संघर्ष में होती है, तो अंतिम वेतन का 100% पेंशन के रूप में दिया जाता है। यह योजना उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत होती है, जिनका पूरा जीवनस्तर जवान की आय पर निर्भर होता है।
3. मृत्यु सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी (DCRG):
सेवा अवधि के अनुसार यह राशि अधिकतम ₹20 लाख तक होती है। यह एक बार में दी जाने वाली राशि होती है।
4. आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस (AGI):
यह एक बीमा योजना है जिसमें जवान अपनी सेवा के दौरान योगदान करता है। उसकी मृत्यु के बाद, योगदान और सेवा की अवधि के अनुसार परिवार को यह राशि दी जाती है।
5. आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड (ACWF):
इस फंड से शहीद के परिवार को ₹8 लाख तक की राशि सहायता के रूप में प्रदान की जाती है। यह सहायता सामाजिक और मानसिक पुनर्निर्माण में मददगार होती है।
शैक्षणिक और पारिवारिक सहायता
शहीदों के बच्चों और विधवाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान करती है:
- बेटी की शादी या विधवा का पुनर्विवाह: ₹1 लाख की आर्थिक सहायता।
- बच्चों की शिक्षा: स्नातक तक की पढ़ाई की पूरी फीस माफ की जाती है।
- स्नातकोत्तर शिक्षा: ₹25,000 प्रति वर्ष।
- व्यावसायिक पाठ्यक्रम: ₹50,000 प्रति वर्ष।
- कंप्यूटर अनुदान: ₹35,000 तक का एकमुश्त अनुदान बच्चों की डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए।
- विधवा की उच्च शिक्षा: स्नातक के लिए ₹20,000, स्नातकोत्तर के लिए ₹25,000, और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए ₹50,000 प्रति वर्ष की सहायता।
राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली सहायता
केंद्र सरकार के अलावा, भारत की विभिन्न राज्य सरकारें भी शहीदों के परिवारों के प्रति अपनी सामाजिक और संवैधानिक जिम्मेदारी निभाती हैं:
1. अनुग्रह राशि:
यह राशि राज्य सरकार पर निर्भर करती है। उदाहरण के तौर पर, गुजरात सरकार ₹1 करोड़ तक की सहायता प्रदान करती है। कई अन्य राज्य जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र भी उच्च अनुग्रह राशि देते हैं।
2. आरक्षण और रोज़गार:
शहीद के परिवार को पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, और सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती है। यह उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर देता है।
3. शिक्षा में आरक्षण:
शहीदों के बच्चों के लिए MBBS, BDS जैसे उच्च शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में सीटें आरक्षित की जाती हैं। यह सुनिश्चित करता है कि उनके करियर की राह सुगम हो।
4. यात्रा रियायतें:
रेल और हवाई यात्रा में छूट दी जाती है, जिससे परिवार की यातायात लागत में कमी आती है और वे सामाजिक रूप से सक्रिय रह सकते हैं।
अग्निवीर योजना के तहत शहीद हुए जवानों के परिवारों के लिए सहायता
अग्निपथ योजना के अंतर्गत भर्ती हुए जवानों के लिए सरकार ने विशेष सहायता योजनाएं निर्धारित की हैं, जो इस प्रकार हैं:
- बीमा कवर (Insurance Cover): ₹48 लाख की राशि, जो अग्निवीर की शहादत पर परिवार को मिलती है।
- अनुग्रह राशि (Ex-Gratia): ₹44 लाख एकमुश्त।
- सेवा निधि (Seva Nidhi): सेवा अवधि के अनुसार ₹2.3 लाख तक की राशि।
- वेतन और भत्ते: शेष सेवा अवधि का वेतन और भत्ते पूरे परिवार को दिए जाते हैं।
इन सभी मदों को जोड़ने पर, अग्निवीर योजना के तहत कुल सहायता राशि लगभग ₹1.65 करोड़ तक हो सकती है। हालांकि, इसमें नियमित सैनिकों की तरह पेंशन की सुविधा नहीं होती।