पेंशन वृद्धि की मांग और जमीनी हकीकत
EPS-95 (कर्मचारी पेंशन योजना-95) के तहत आने वाले पेंशनर कई वर्षों से सरकार से अपनी पेंशन में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में, लगभग 7.8 मिलियन पेंशनर हैं जो औसतन मात्र ₹1,450 की पेंशन पर जीवन यापन कर रहे हैं। इनमें से कुछ पेंशनरों को ₹1,000 से भी कम पेंशन मिलती है। पेंशनर लगातार न्यूनतम पेंशन ₹7,500 प्रति माह करने की मांग कर रहे हैं, साथ ही उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएं। पेंशनरों की राष्ट्रीय आंदोलन समिति (NAC) इस मुद्दे पर कई सालों से संघर्ष कर रही है।
NAC का संघर्ष और पेंशनरों की आवाज
पेंशनरों की राष्ट्रीय आंदोलन समिति (NAC) के नेतृत्व में EPS-95 पेंशनर लगातार अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। 2024 में, NAC के सदस्यों ने देशभर में प्रदर्शन करते हुए सरकार से अपनी पेंशन में बढ़ोतरी की मांग की। समिति का कहना है कि इतनी कम पेंशन में जीवन जीना नामुमकिन हो गया है। समिति के अध्यक्ष अशोक राउत ने बताया कि सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
पेंशन वृद्धि की मांग और सरकार की प्रतिक्रिया
पेंशनरों की बढ़ती नाराजगी के बीच, अगस्त 2024 में केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने NAC के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उनकी मांगों को हल करने का आश्वासन दिया। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पेंशनरों की समस्या का समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, यह आश्वासन पेंशनरों की नाराजगी को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं रहा क्योंकि कई पेंशनर मानते हैं कि इस मुद्दे को लेकर लंबे समय से सिर्फ आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
मौजूदा पेंशन व्यवस्था और इसकी समस्याएं
EPS-95 योजना के तहत लाखों पेंशनरों का मानना है कि मौजूदा पेंशन राशि से उनका गुजारा मुश्किल हो गया है। पेंशनरों का कहना है कि सरकार को केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी पेंशन राशि में वृद्धि करनी चाहिए। आज देश में बढ़ती महंगाई और स्वास्थ्य सेवाओं की उच्च लागत को देखते हुए, ₹1,450 की पेंशन राशि नाकाफी है। NAC का यह भी कहना है कि पेंशनरों को स्वास्थ्य सेवाएं भी मुफ्त में उपलब्ध कराई जानी चाहिए, क्योंकि अधिकतर पेंशनर अपनी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं के चलते महंगी चिकित्सा सेवाएं नहीं ले पा रहे।
राजनीतिक असर और आगामी चुनाव
EPS-95 पेंशनरों का यह मुद्दा आने वाले चुनावों में भी राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण हो सकता है। पेंशनरों ने संकेत दिए हैं कि यदि उनकी मांगों को समय पर पूरा नहीं किया गया, तो यह उनके वोटिंग निर्णय को प्रभावित कर सकता है। NAC ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों से भी समर्थन मांगा है। कई विपक्षी सांसदों ने पेंशनरों की मांगों को समर्थन देने की बात कही है, जो आगामी चुनावों में सरकार के लिए एक चुनौती बन सकती है।
EPS-95 पेंशनरों की स्थिति अत्यंत गंभीर है, और सरकार के पास इस समस्या को हल करने के लिए बहुत कम समय बचा है। बढ़ती महंगाई और स्वास्थ्य सेवाओं की उच्च लागत को देखते हुए, पेंशनरों का जीवन स्तर काफी गिर गया है।
सरकार ने कर्मचारीयों के अंशदान जो लाखों करोड़ों के है को अपने तिजोरी में भरकर रखी है। वह तिजोरी इतने आसानी से कैसे खोल सकतीं हैं और पेंशनर्स को इतनी आसानी से पेंशन बढ़ाकर कैसे दे सकतीं हैं। क्योंकि सरकार भली-भांति जानतीं कि कि इन प्रायवेट सेक्टर के कार्यरत पेंशनर्स का वजुद क्या है। अब अपनी ताकत दिखानें का समय आ गया है। अब जंग को अंतरराष्ट्रीय लेवल पर लें जाकर अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
इस सरकार से उम्मीद ख़त्म हो चुकी है। मेरे मरने के बाद कुछ हो जाए तो कह नहीं सकता। अब मेरी आयु भी 70 वर्ष हो चुकी है। अब तक सिर्फ़ आश्वासन ही मिले हैं। आयुष्मान कार्ड भी मेरा नहीं बन सकता क्योंकि दिल्ली में ये योजना लागू नहीं है।