
सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला Risk Allowance एक ऐसा भत्ता है, जो उन अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया जाता है, जो अपने कर्तव्यों के दौरान खतरनाक या जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में काम करते हैं। यह भत्ता उनके स्वास्थ्य और जीवन पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों की भरपाई के रूप में दिया जाता है। खासकर केंद्रीय सरकारी विभागों और रक्षा प्रतिष्ठानों में कार्यरत ऐसे कर्मचारी जिनकी नौकरी की प्रकृति ही जोखिम से भरी होती है, उन्हें यह सुविधा दी जाती है।
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किन पदों को मिलता है Risk Allowance
Risk Allowance केवल चुनिंदा सरकारी पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को ही प्रदान किया जाता है। इसमें वे लोग शामिल हैं जो विस्फोटकों, खतरनाक रसायनों, गहरी सफाई, अत्यधिक तापमान, रेडिएशन या अन्य शारीरिक रूप से जोखिमपूर्ण कार्यों में लगे रहते हैं। रक्षा मंत्रालय के अधीन ऐसे लगभग 45 कार्यों को जोखिमयुक्त श्रेणी में शामिल किया गया है। इसके अलावा नाइट्रोग्लिसरीन (Nitro Glycerine) निर्माण, डेंजर बिल्डिंग (Danger Building), और सीवरेज साफ करने जैसे कार्य भी इसमें शामिल हैं।
पद के अनुसार कितना मिलता है भत्ता
Risk Allowance की राशि कर्मचारी के कौशल स्तर और पद के अनुसार भिन्न होती है। असंगठित (Unskilled) श्रमिकों को ₹90 प्रति माह, अर्ध-कुशल (Semi-skilled) को ₹135, और कुशल (Skilled) कर्मचारियों को ₹180 प्रति माह तक का भत्ता दिया जाता है। वहीं पर्यवेक्षकों (Supervisors) को ₹225, नॉन-गज़ेटेड ऑफिसर्स को ₹405 और गज़ेटेड ऑफिसर्स को ₹675 प्रति माह तक का भत्ता दिया जाता है। यदि कर्मचारी डेंजर बिल्डिंग ऑफिसर की भूमिका में है तो उसे ₹900 प्रति माह तक का Risk Allowance मिल सकता है।
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स्वास्थ्य सेवाओं और सफाई कर्मचारियों के लिए भी लागू
जो कर्मचारी अत्यधिक संवेदनशील स्थानों जैसे संक्रमित वार्ड, आईसोलेशन एरिया या गटर-सीवरेज की सफाई जैसे कार्य करते हैं, उन्हें भी यह भत्ता दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग, नगर निकाय और अन्य संबंधित विभागों में इस तरह के कार्यों को जोखिमपूर्ण मानते हुए इन कर्मचारियों को Risk Allowance की सुविधा दी जाती है।
यह भत्ता कब और कैसे लागू होता है
यदि किसी सरकारी विभाग में एक विशेष पद पर कार्यरत कर्मचारी को Risk Allowance दिया जा रहा है, तो अन्य मंत्रालयों या विभागों में उसी पद पर कार्यरत व्यक्ति को भी यह भत्ता मिलना चाहिए—बशर्ते कार्य की प्रकृति और जोखिम समान हों। यह नियम सुनिश्चित करता है कि सभी कर्मचारियों को समान परिस्थितियों में समान लाभ मिलें। हालांकि यह भत्ता केवल ड्यूटी के दौरान ही देय होता है और इसे सेवानिवृत्ति लाभ या वेतन में शामिल नहीं किया जाता।
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