DA Hike Update: 27 सितंबर को दफ्तरों में बंद रहेगा सरकारी काम, DA और वेतन में वृद्धि जैसी मांगों पर कर्मचारी करेंगे हड़ताल

27 सितंबर को छत्तीसगढ़ में सरकारी कार्यालयों में कामकाज ठप रहेगा क्योंकि कर्मचारी वेतन और महंगाई भत्ते में वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। इससे सरकारी सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न होने की संभावना है।

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Written by Rohit Kumar

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DA Hike Update: 27 सितंबर को दफ्तरों में बंद रहेगा सरकारी काम, महंगाई भत्ते और वेतन जैसी मांगों पर कर्मचारी करेंगे हड़ताल

DA Hike Update: 27 सितंबर को छत्तीसगढ़ में सरकारी कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह से ठप रहने की उम्मीद है, ऐसा इसलिए क्योंकि शासकीय अधिकारी और कर्मचारी ‘कलम बंद, काम बंद’ हड़ताल पर हैं। यह हड़ताल छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन द्वारा आयोजित की गई है, और इसमें प्रदेशभर के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।

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हड़ताल के मुख्य कारण

  1. महंगाई भत्ते में वृद्धि की मांग: कर्मचारियों ने 2019 से लंबित महंगाई भत्ते (DA) की बढ़ोतरी की मांग की है। वे चाहते हैं कि इस बढ़ोतरी को उनके जीपीएफ खाते में समायोजित किया जाए।
  2. वेतनमान संशोधन और अवकाश नगदीकरण की सीमा में वृद्धि: कर्मचारियों ने चार स्तरीय वेतनमान लागू करने और अवकाश नगदीकरण की सीमा को 240 दिनों से बढ़ाकर 300 दिन करने की मांग की है।
  3. चुनावी वादे की अपूर्णता: कर्मचारी संगठन का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चुनाव के दौरान किए गए गारंटी को पूरा न करने के कारण यह कदम उठाया गया है।

समाज पर प्रभाव

इस हड़ताल के कारण सरकारी कार्यालयों के कामकाज में व्यवधान पड़ने से जनता को विभिन्न सेवाओं की प्राप्ति में असुविधा हो सकती है। जनता को सलाह दी गई है कि वे अपने जरूरी कार्य इस हड़ताल से पहले ही पूरे कर लें।

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राजनीतिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य

वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने चुनावी घोषणा पत्र में ऐलान किया था कि सरकार ने जो वादे किए हैं, उन्हें पूरा करने के लिए कुछ समय दिया जाए। हालांकि, लंबे समय से लंबित मांगों के कारण कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ गई है, जिससे यह हड़ताल और अधिक प्रभावशाली हो गई है।

यह हड़ताल न केवल सरकारी कार्यालयों के कामकाज पर प्रभाव डालेगी, बल्कि यह सरकार और कर्मचारियों के बीच संबंधों में तनाव को भी उजागर करती है। सरकार के लिए इसे एक जागरूक कदम के रूप में देखना चाहिए, जिससे वे आगे चलकर बेहतर नीतिगत निर्णय ले सकें और कर्मचारियों की जायज मांगों को समय पर पूरा कर सकें।

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