भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए एकीकृत पेंशन योजना (UPS) की घोषणा की है, जिसे वित्तीय वर्ष 2025 में अप्रैल से प्रभावी करने की योजना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को उनके वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।
योजना की तैयारी
केंद्र सरकार ने इस योजना के त्वरित क्रियान्वयन के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ समीक्षा बैठकें आयोजित की हैं, जिनकी अगुवाई कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन कर रहे हैं। इन बैठकों का मुख्य फोकस UPS के सुचारू रोल-आउट पर है।
अधिसूचना और योजना का विस्तार
इस योजना की अधिसूचना, जिसे पहले सितंबर में जारी करने की योजना थी, अब अक्टूबर मध्य तक जारी की जाएगी। इसके बाद, केंद्र सरकार के 23 लाख से अधिक कर्मचारियों को इस योजना को अपनाने या राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के साथ बने रहने का विकल्प दिया जाएगा।
विभागीय भागीदारी
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग इस बात का मूल्यांकन करेगा कि कौन से कर्मचारी UPS को अपनाना चाहते हैं। प्रशासनिक सुधार और कार्मिक शिकायत विभाग (DARPG) नई सेवा नियम पुस्तिका का मसौदा तैयार कर रहा है ताकि UPS के क्रियान्वयन को सहायता प्रदान की जा सके।
वित्तीय और निवेश योजना
पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) UPS के निवेश पहलुओं पर काम कर रहा है। इसमें सरकारी योगदान का निर्धारण और पेंशन कोष के समग्र आकार को बढ़ाने के तरीके शामिल हैं।
लाभ और प्रावधान
UPS के तहत, सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम आहरित वेतन का 50% के रूप में आजीवन मासिक पेंशन मिलेगी, जिसमें महंगाई भत्ते के माध्यम से नियमित समायोजन भी शामिल है। कम से कम 10 वर्षों की सेवा पूरी करने वालों के लिए ₹10,000 की न्यूनतम मासिक पेंशन सुनिश्चित की गई है।
विस्तार की संभावना
हालांकि योजना में प्रारंभ में केवल केंद्र सरकार के कर्मचारी शामिल होंगे, अगर राज्य सरकारें भी इसमें भाग लेने का निर्णय लेती हैं, तो लाभार्थियों की संख्या बढ़कर 90 लाख तक पहुंच सकती है।
इस प्रकार, भारत सरकार द्वारा UPS के माध्यम से सरकारी कर्मचारियों के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक ठोस कदम उठाया जा रहा है, जिससे उनकी सेवानिवृत्ति के दिनों में वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।