भारत सरकार ने केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना (CGHS) के अंतर्गत कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज को और अधिक सुलभ बनाने के लिए नई नीतियां और नियम लागू किए हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य है स्वास्थ्य संकट के समय में त्वरित और निर्बाध सेवाएं प्रदान करना।
नई नियमावली का परिचय
अब रेफरल और एंडोर्समेंट की आवश्यकता समाप्त: पहले, इमरजेंसी की स्थिति में भी, CGHS कार्डधारकों को इलाज के लिए रेफरल या एंडोर्समेंट की आवश्यकता होती थी, जिसके कारण अक्सर इलाज में देरी होती थी। नए नियमों के अनुसार, अब किसी भी इमरजेंसी के लिए इस प्रकार की औपचारिकताओं की जरूरत नहीं होगी।
इमरजेंसी सर्टिफिकेट का प्रावधान: इमरजेंसी में इलाज शुरू करने के लिए मरीज को अस्पताल के एक्सपर्ट से एक इमरजेंसी सर्टिफिकेट प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इस सर्टिफिकेट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मरीज की स्थिति वास्तव में इमरजेंसी है।
दावा प्रक्रिया का डिजिटलीकरण: अब अस्पतालों को इलाज के लिए दिए गए सर्टिफिकेट और मरीज के इलाज का दावा CGHS के बीसीए पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इससे इलाज का खर्चा त्वरित रूप से क्लेम किया जा सकेगा।
लाभ
- कैशलेस इलाज: नई नियमावली के तहत मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी, जिससे उन्हें इलाज के समय किसी भी प्रकार का भुगतान करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- इलाज में नही होगी देरी: इमरजेंसी स्थिति में रेफरल या एंडोर्समेंट की आवश्यकता न होने से इलाज में होने वाली देरी को रोका जा सकेगा, जिससे मरीज को समय पर उचित इलाज मिल सकेगा।
- उन्नत स्वास्थ्य सेवाएँ: सरकार ने इलाज की गुणवत्ता और पहुँच में सुधार के लिए नई नियमावली के साथ-साथ सरकारी और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
CGHS के तहत नई नियमावली का उद्देश्य केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को इमरजेंसी में त्वरित, सहज और निर्बाध स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। यह पहल न केवल उनके लिए बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार साबित होगी।