वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एकीकृत पेंशन योजना (UPS) का बचाव किया, जिसे सरकारी कर्मचारियों और करदाताओं के हितों को संतुलित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह योजना, जिसे वित्तीय वर्ष 2025 के लिए प्रस्तावित किया गया है, अतिरिक्त राजकोषीय भार के साथ आती है, लेकिन यह भविष्य की पीढ़ियों पर पेंशन बिल के बोझ को कम करने का वादा करती है।
UPS: परिचय और उद्देश्य
एनपीएस-वात्सल्य योजना के शुभारंभ के साथ, वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि नई UPS पुरानी पेंशन योजना (OPS) और वर्तमान नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के सर्वोत्तम तत्वों को समाहित करती है। इसका मुख्य आकर्षण सरकारी कर्मचारियों को न्यूनतम गारंटीकृत पेंशन प्रदान करना है, जो पुरानी पेंशन योजना की तरह स्थिरता सुनिश्चित करता है।
आर्थिक प्रभाव
बता दें, इस योजना के तहत, सरकार का योगदान मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 14% से बढ़कर 18.5% हो जाएगा, जिससे केंद्र पर वार्षिक 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय होगा। उद्योग जगत और अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इससे राजकोषीय घाटे में लगभग 15 आधार अंकों का इजाफा हो सकता है, जो देश के वित्तीय संतुलन के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
सामाजिक प्रभाव
एनपीएस-वात्सल्य के तहत, माता-पिता और अभिभावक अपने नाबालिग बच्चों के लिए पेंशन खाते खोल सकते हैं, जिससे वे शुरुआती चरण में चक्रवृद्धि वृद्धि का लाभ उठा सकते हैं। इस योजना से सभी आर्थिक स्तरों के परिवारों के लिए पेंशन योजना सुलभ हो जाएगी, जिससे लंबी अवधि में आर्थिक स्थिरता बढ़ेगी।
चुनौतियां और रणनीतियां
हालांकि UPS ने वित्तीय और सामाजिक स्तर पर कई लाभ प्रदान किए हैं, इसकी उच्च लागत और बढ़ते राजकोषीय घाटे की चुनौतियों को संबोधित करने के लिए वित्त मंत्रालय को सावधानीपूर्वक नीतियां तैयार करनी होंगी। वित्तीय नियोजन और पारदर्शिता से ही दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित हो सकते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि UPS केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए ही नहीं बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी टिकाऊ और लाभदायक रहे। इस प्रकार, यह योजना भारत में सामाजिक सुरक्षा के दायरे को व्यापक बनाती है और वित्तीय स्थिरता के नए आयाम स्थापित करती है।