OPS Update: नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) द्वारा पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली के लिए एक बड़ा आंदोलन शुरू करने की तैयारी जोर पकड़ रही है। इसी क्रम में, रविवार को दिल्ली में NMOPS की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने आंदोलन की आगामी योजनाओं की घोषणा की।
26 सितंबर को देशभर में आक्रोश मार्च
बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि 26 सितंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर पुरानी पेंशन योजना की बहाली और NPS और UPS के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला जाएगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि OPS बहाली के लिए संगठन अब आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है। उन्होंने बताया कि यह केवल कर्मचारियों और शिक्षकों के भविष्य की सुरक्षा का सवाल नहीं है, बल्कि उनके सामाजिक और आर्थिक अधिकारों की बहाली का मुद्दा है।
15 दिसंबर को राष्ट्रीय अधिवेशन
आगे की रणनीति के तहत, 15 दिसंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया जाएगा। यह अधिवेशन संगठन की गतिविधियों के अगले चरण को निर्धारित करेगा और इसमें नए साल के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इसमें पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए देशभर के शिक्षक और कर्मचारी एकजुट होंगे और आगामी चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है।
चुनाव वाले राज्यों में विशेष अभियान
विधानसभा चुनावों को देखते हुए, NMOPS ने हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और झारखंड जैसे राज्यों में “वोट फॉर OPS” अभियान चलाने का भी निर्णय लिया है। यह अभियान इन राज्यों में पुरानी पेंशन योजना की बहाली के समर्थन में होगा, ताकि राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करें और इसके आधार पर चुनाव में समर्थन जुटाया जा सके।
आंदोलन को बढ़ावा देने की योजना
बैठक में संगठन के कुछ प्रमुख सदस्यों की जिम्मेदारी भी तय की गई। राष्ट्रीय महासचिव स्थित प्रज्ञा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में आंदोलन को और तेज करने के लिए राष्ट्रीय सचिव परमानंद डेहरिया को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है, जबकि विजेंद्र धारीवाल को चंडीगढ़ का प्रभारी नियुक्त किया गया है।
NMOPS का यह बड़ा कदम भविष्य में शिक्षक और सरकारी कर्मचारियों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। OPS बहाली के लिए हो रहा यह आंदोलन न केवल सरकारी कर्मचारियों के आर्थिक सुरक्षा के लिए है, बल्कि एक बड़े सामाजिक सुधार की दिशा में बढ़ता कदम भी है। आगामी