भारत सरकार द्वारा पेंशन संरचना में किए गए सुधारों—नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)—का विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है। इन संगठनों का कहना है कि उन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) चाहिए, जो कि एक निश्चित लाभ वाली पेंशन योजना थी।
NPS और उसकी चुनौतियाँ
NPS, जिसे 2004 में शुरू किया गया था, एक परिभाषित योगदान पेंशन योजना है जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों योगदान देते हैं। इस योजना की मुख्य आलोचना यह है कि इसमें पेंशन की राशि बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करती है, जिससे कर्मचारियों को वित्तीय अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है।
UPS की विशेषताएं
UPS, जिसे हाल ही में पेश किया गया है, का उद्देश्य NPS की कमियों को दूर करना और OPS की कुछ विशेषताओं को शामिल करना है। इस योजना के अंतर्गत, कर्मचारियों को उनकी अंतिम औसत वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा, बशर्ते उनकी सेवा की अवधि कम से कम 25 वर्ष हो। फिर भी, कर्मचारी संगठन इसे अपर्याप्त मानते हैं क्योंकि यह OPS जितनी सुरक्षा प्रदान नहीं करता।
कर्मचारी संगठनों का तर्क और मांग
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि OPS के तहत, पेंशन की गारंटी और स्थिरता थी, जो कि NPS और UPS में नहीं है। OPS में, कर्मचारियों को अपनी आखिरी तनख्वाह का 50% पेंशन के रूप में मिलता था और यह राशि मुद्रास्फीति के साथ समायोजित होती थी। इसके विपरीत, NPS और UPS बाजार के जोखिम को कर्मचारी पर डालते हैं और पेंशन की राशि को अनिश्चित बनाते हैं।
निष्कर्ष
कर्मचारी संगठनों का यह विरोध न केवल वित्तीय सुरक्षा के उनके अधिकार को दर्शाता है बल्कि यह भी संकेत देता है कि पेंशन सुधारों को लेकर और अधिक संवाद और समझौते की आवश्यकता है। इस बहस में आगे क्या होगा, यह नीति निर्माताओं और कर्मचारी संगठनों के बीच संवाद पर निर्भर करेगा।