पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर देशभर के कर्मचारियों ने अपने आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है। पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन ने इस मुद्दे पर अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए कल से देशव्यापी आंदोलन का ऐलान कर दिया है। संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हालिया वर्चुअल बैठक में आंदोलन की रूपरेखा तय की गई, जिसमें नवंबर-दिसंबर में संसद भवन के घेराव का भी प्रस्ताव शामिल है।
बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने की, जिसमें उत्तराखंड सहित सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री शामिल हुए। बैठक के दौरान नई पेंशन योजना (NPS) और हाल ही में घोषित यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के प्रति भारी नाराजगी जताई गई। सभी प्रतिनिधियों ने एक स्वर में इन योजनाओं का विरोध करते हुए पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग की।
आंदोलन की शुरुआत 29 अगस्त को राष्ट्रीय स्तर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर #NoNPS_NoUPS_OnlyOPS हैशटैग के साथ विरोध पोस्ट करने से होगी। इसके बाद, दो से छह सितंबर के बीच देश भर में कर्मचारी काली पट्टी बांधकर विरोध जताएंगे। 15 सितंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी।
26 सितंबर को सभी जिला मुख्यालयों पर NPS और UPS के विरोध में प्रदर्शन किए जाएंगे। यदि इसके बाद भी सरकार पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं करती है, तो अक्तूबर में दिल्ली में राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया जाएगा। इस अधिवेशन में आंदोलन को और अधिक व्यापक बनाने के लिए रणनीति बनाई जाएगी। अंतिम चरण में, नवंबर-दिसंबर में संसद भवन का घेराव कर सरकार पर दबाव बढ़ाया जाएगा।
इस आंदोलन में देशभर के कर्मचारी संगठनों का समर्थन प्राप्त है, जो पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए संघर्षरत हैं। कर्मचारियों का मानना है कि नई पेंशन योजनाएं उनके भविष्य को सुरक्षित करने में विफल रही हैं, और पुरानी पेंशन योजना (OPS) ही उन्हें उनके अधिकारों की सही सुरक्षा प्रदान कर सकती है।
अब सभी की नजरें इस आंदोलन पर टिकी हैं कि यह सरकार को पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के लिए कितना मजबूर कर पाता है। देशभर में कर्मचारियों का यह आंदोलन आने वाले दिनों में और भी तेज हो सकता है।
पुरानी पेंशन बहाली के लिए देशभर के कर्मचारी कल से आंदोलन शुरू करेंगे, जिसमें सोशल मीडिया विरोध, काली पट्टी प्रदर्शन, और संसद भवन घेराव जैसी गतिविधियां शामिल हैं। सरकार पर दबाव बढ़ाने का प्रयास है।