भारत में पेंशन योजनाओं के बदलाव ने लाखों कर्मचारियों के भविष्य को प्रभावित किया है। पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बदलकर नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लागू की गई है, जिसे सरकार अधिक लाभकारी बता रही है। हालांकि, कर्मचारी संगठन UPS को लेकर असंतुष्ट हैं और OPS की वापसी की मांग कर रहे हैं। आइए समझते हैं कि OPS में ऐसा क्या था जो UPS में नहीं है और दोनों योजनाओं के बीच क्या प्रमुख अंतर हैं।
पुरानी पेंशन योजना (OPS)
OPS एक डिफाइंड बेनिफिट पेंशन योजना थी, जो रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को निश्चित पेंशन की गारंटी देती थी। इसमें पेंशन का निर्धारण कर्मचारी की आखिरी सैलरी के आधार पर किया जाता था, आमतौर पर यह आखिरी बेसिक सैलरी का 50% होती थी।
- संपूर्ण वित्तीय सुरक्षा: OPS के तहत पेंशन राशि में किसी भी प्रकार की कटौती का जोखिम नहीं था, क्योंकि पेंशन राशि सरकार द्वारा दी जाती थी।
- महंगाई से सुरक्षा: महंगाई भत्ते (DA) के रूप में पेंशनधारकों को समय-समय पर पेंशन में वृद्धि भी की जाती थी, जिससे उनकी आय महंगाई के प्रभाव से प्रभावित नहीं होती थी।
- नो योगदान प्रणाली: OPS में कर्मचारियों से किसी प्रकार का पेंशन योगदान नहीं लिया जाता था। यह पूरी तरह से सरकारी वित्त पोषित योजना थी।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)
UPS को सरकार ने नई पेंशन योजना के रूप में पेश किया है, जो कि कर्मचारियों के लिए एक डिफाइंड कंट्रीब्यूशन योजना है। इसमें पेंशन का निर्धारण कर्मचारी के अंशदान और बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है।
- योगदान आधारित प्रणाली: UPS के तहत, कर्मचारी और सरकार दोनों को पेंशन के लिए नियमित योगदान करना पड़ता है। आमतौर पर, कर्मचारी का 10% और सरकार का 18.5% योगदान होता है।
- निश्चित पेंशन की कमी: UPS में पेंशन राशि की कोई गारंटी नहीं है। यह पूरी तरह से उस फंड पर निर्भर करती है जो अंशदान और निवेश के माध्यम से तैयार होता है।
- महंगाई से सुरक्षा नहीं: UPS में महंगाई भत्ते जैसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे पेंशनधारकों को महंगाई के बढ़ते प्रभाव से सुरक्षा नहीं मिलती है।
- एकमुश्त राशि की सीमितता: UPS में कर्मचारी को एकमुश्त राशि के रूप में केवल एक सीमित धनराशि दी जाती है, जबकि शेष राशि सरकार के पास रहती है।
OPS और UPS में प्रमुख अंतर
विवरण | OPS | UPS |
---|---|---|
पेंशन का आधार | आखिरी सैलरी का 50% | योगदान और निवेश पर निर्भर |
योगदान | कर्मचारी से कोई योगदान नहीं | कर्मचारी और सरकार दोनों का योगदान |
महंगाई सुरक्षा | DA के माध्यम से महंगाई से सुरक्षा | महंगाई सुरक्षा का अभाव |
निश्चित पेंशन | निश्चित पेंशन की गारंटी | पेंशन राशि की कोई गारंटी नहीं |
एकमुश्त राशि | नहीं, केवल मासिक पेंशन | सीमित एकमुश्त राशि और मासिक पेंशन |
कर्मचारी संगठनों की मांग
कर्मचारी संगठन UPS को लेकर चिंतित हैं क्योंकि इसमें पुरानी पेंशन योजना जैसी सुरक्षा और लाभ नहीं हैं। उनका मानना है कि UPS में कर्मचारियों के फंड का पूरा नियंत्रण सरकार के पास है और पेंशन राशि निश्चित नहीं है, जिससे उनके भविष्य की वित्तीय सुरक्षा पर सवाल खड़े होते हैं। कर्मचारी चाहते हैं कि OPS को बहाल किया जाए, क्योंकि यह महंगाई और वित्तीय अस्थिरता के दौर में अधिक सुरक्षित थी।
निष्कर्ष
OPS और UPS के बीच का अंतर कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है। OPS में जहां उन्हें रिटायरमेंट के बाद एक सुनिश्चित पेंशन मिलती थी, वहीं UPS में पेंशन की राशि योगदान और निवेश के आधार पर निर्भर है।
महंगाई से सुरक्षा का अभाव और पेंशन राशि की अनिश्चितता UPS को कम आकर्षक बनाते हैं, जिससे कर्मचारी इसके विरोध में हैं। इसलिए, सरकार और कर्मचारियों के बीच संवाद और बेहतर समाधान की आवश्यकता है ताकि सभी पक्षों की चिंताओं का निराकरण हो सके।