उपनल संयुक्त मोर्चा ने उत्तराखंड सरकार से उपनल कर्मचारियों के लिए हाईकोर्ट के 2018 के आदेश को जल्द लागू करने की मांग की है। बुधवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा कि जिस तरह सरकार संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली तैयार कर रही है, उसी प्रकार उपनल कर्मचारियों के लिए भी नियमावली बनाई जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने 2018 में आदेश दिया था कि उपनल कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन दिया जाए और उनके नियमितीकरण के लिए नियमावली बनाई जाए।
सरकार की कार्रवाई पर सवाल
विनोद गोदियाल ने कहा कि सरकार ने संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के मामले में हाईकोर्ट के आदेश को तेजी से लागू किया है, लेकिन उपनल कर्मचारियों के मामले में ऐसा नहीं किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने के बजाय सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी, जो उपनल कर्मचारियों के साथ भेदभाव का सीधा संकेत है।
महामंत्री विनय प्रसाद की मांगें
महामंत्री विनय प्रसाद ने कहा कि सरकार सिर्फ संविदा, अंशकालिक और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए नियमावली बना रही है, जबकि हाईकोर्ट के आदेश में उपनल कर्मचारी भी शामिल हैं। उन्होंने मांग की कि उपनल कर्मचारियों को भी समान काम का समान वेतन मिले और उनके वेतन पर लगने वाले टैक्स को खत्म किया जाए। साथ ही, अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो अक्तूबर में उपनल कर्मचारी सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
संविदा नियुक्ति पर रोक, फिर भी नियमितीकरण?
मोर्चा पदाधिकारियों ने सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि 2003 और 2006 के कार्मिक विभाग के शासनादेश में यह स्पष्ट है कि भविष्य में संविदा पर नियुक्ति नहीं की जाएगी, और संविदा के तहत नियुक्तियां केवल उपनल से ही होंगी। ऐसे में, सरकार किन संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही है और उपनल कर्मचारियों को इस नियमावली के दायरे में क्यों नहीं लाया जा रहा है, यह समझ से परे है।
आंदोलन की चेतावनी
अगर सरकार उपनल कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो उपनल संयुक्त मोर्चा ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अक्तूबर में आंदोलन करेंगे। यह आंदोलन बड़े पैमाने पर होगा और इसके लिए सभी उपनल कर्मचारी तैयार हैं।
उपनल कर्मचारियों के अधिकारों और उनकी समान वेतन की मांग को लेकर उपनल संयुक्त मोर्चा का दबाव बढ़ता जा रहा है। अब यह देखना बाकी है कि सरकार इन मांगों पर क्या कदम उठाती है, अन्यथा आने वाले दिनों में सड़कों पर बड़ा आंदोलन देखने को मिल सकता है।