Budget 2024: सरकारी कर्मचारियों के लिए मोदी सरकार ने लिया अहम फैसला, बजट के दिन आया बड़ा निर्णय, जाने पूरी खबर

केंद्र सरकार ने 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटाते हुए सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति दी है। इस फैसले का कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है, जिसे उन्होंने गलत और अस्वीकार्य बताया है।

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Written by Rohit Kumar

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सरकारी कर्मचारियों के लिए मोदी सरकार का अहम फैसला, बजट के दिन आया निर्णय

Budget 2024: केंद्र सरकार ने बजट के दौरान सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। यह फैसला 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटाने से संबंधित है, जो सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में भाग लेने से रोकता था। इस प्रतिबंध को मौजूदा केंद्र सरकार ने हटा दिया है, जिससे सरकारी कर्मचारी अब RSS की गतिविधियों में खुलकर भाग ले सकते हैं।

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प्रतिबंध की पृष्ठभूमि

महात्मा गांधी की हत्या के बाद, तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगाया था। बाद में कुछ शर्तों के साथ इस प्रतिबंध को हटा लिया गया, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के लिए RSS की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध जारी रहा। यह प्रतिबंध 30 नवंबर 1966 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में सख्ती से लागू किया गया था।

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कार्मिक विभाग द्वारा जारी आदेश

केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा जारी नए आदेश के अनुसार, अब सभी केंद्रीय और राज्य सरकारी कर्मचारी RSS की गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। यह निर्णय पहले से ही हरियाणा, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में लागू हो चुका था, लेकिन अब यह पूरे देश में लागू होगा।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस फैसले पर कांग्रेस के नेता जयराम रमेश और पवन खेड़ा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। जयराम रमेश ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि 1966 में लगाए गए प्रतिबंध को हटाना सही नहीं है और यह कदम प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लिया गया है, जो वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान भी लागू था। पवन खेड़ा ने भी सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटाना एक गलत कदम है।

निष्कर्ष

केंद्र सरकार का यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव है। जिससे अब वे RSS की गतिविधियों में खुलकर भाग ले सकेंगे, जो पिछले 58 सालों से प्रतिबंधित था। इस निर्णय ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है और आने वाले दिनों में इसके और भी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

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