
भारत सरकार ने विदेश में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब, जिन भारतीय कर्मचारियों को कंपनी द्वारा तीन साल या उससे कम समय के लिए विदेश भेजा जाता है, उनका पेंशन और ग्रेच्युटी का पैसा भारत में ही उनके पीएफ अकाउंट (PF Account) में जमा किया जाएगा। इस बदलाव से उन कर्मचारियों को बड़ा फायदा होगा, जिन्हें पहले उनके वेतन से सामाजिक सुरक्षा के नाम पर हर महीने एक निश्चित रकम काटी जाती थी, लेकिन इसका कोई विशेष लाभ उन्हें नहीं मिलता था। यह कदम भारत सरकार द्वारा विभिन्न देशों के साथ किए जा रहे विशेष समझौतों के तहत उठाया गया है।
पहले की स्थिति कोई फायदा नहीं था
इससे पहले, जिन देशों के साथ भारत का सामाजिक सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं था, वहां विदेश में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों की सैलरी से पेंशन और ग्रेच्युटी का एक हिस्सा काटा जाता था। ये पैसे कर्मचारियों के लिए किसी काम के नहीं होते थे और जब वे काम करके वापस भारत लौटते थे, तो वे ये पैसे भी वापस नहीं पा सकते थे। हालांकि, अब ऐसी स्थितियां नहीं रहेंगी।
भारत सरकार ने इन मुद्दों को समझते हुए अब कई देशों के साथ समझौते किए हैं, ताकि विदेश में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों का सामाजिक सुरक्षा फंड (Social Security Fund) भारत में उनके EPF (Employees’ Provident Fund) खाते में जमा किया जा सके। इससे कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के फायदे मिलेंगे और उनके पैसे भी सुरक्षित रहेंगे।
भारत और दूसरे देशों के बीच समझौते का विस्तार
भारत सरकार ने अब तक 22 देशों से इस संबंध में समझौते किए हैं, और इन देशों में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों को इसका फायदा मिलना शुरू हो गया है।
किस देशों से हुआ है समझौता?
भारत सरकार ने ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों (Trade Agreements) में अब सामाजिक सुरक्षा (Social Security) को भी शामिल किया है। इस तरह का समझौता भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले फ्री ट्रेड डील (Free Trade Deal) का हिस्सा है। इसके अलावा, अमेरिका (USA) के साथ भी इसी तरह के समझौतों पर विचार किया जा रहा है। भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि हर उस देश से समझौता किया जाएगा, जहां भारतीय कर्मचारी काम पर जा रहे हैं या जा सकते हैं।
श्रम मंत्री का बयान कर्मचारियों की सुरक्षा सर्वोपरि
श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में बताया कि भारत सरकार जब भी किसी देश के साथ व्यापार समझौता करती है, तो उसमें सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे को भी शामिल किया जाएगा। यह न केवल भारतीय कर्मचारियों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि इससे भारतीय कंपनियों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी बढ़त मिलेगी।
सरकार का उद्देश्य: कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा
भारत सरकार का यह उद्देश्य है कि भारतीय कर्मचारियों को विदेश में काम करने के दौरान भी उनके अधिकारों की रक्षा हो और उन्हें सामाजिक सुरक्षा (Social Security) का पूरा लाभ मिल सके। इसके साथ ही, उन्हें भारत लौटने पर भी उनके पैसे वापस मिलें और वे उन पैसों का इस्तेमाल अपने भविष्य के लिए कर सकें।
भारत सरकार ने इस समझौते को लागू करने के लिए अब तक कई देशों के साथ विभिन्न कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं पर चर्चा की है और इस प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप, भविष्य में और देशों से भी इस प्रकार के समझौते हो सकते हैं, जिससे भारतीय कर्मचारियों को वैश्विक स्तर पर अधिक सुरक्षा और फायदे मिल सकें।
कर्मचारियों के लिए विशेष लाभ
भारत में ईपीएफ (EPF) और ईपीएस (EPS) के तहत जमा होने वाली रकम का एक बड़ा फायदा यह है कि कर्मचारी इस फंड को अपनी सेवानिवृत्ति के बाद उपयोग में ला सकते हैं। साथ ही, कर्मचारियों को किसी आपात स्थिति में भी इस पैसे का इस्तेमाल करने की अनुमति होती है। अब जब ये पैसे भारत में उनके पीएफ खाते (PF Account) में जमा होंगे, तो कर्मचारी इस रकम का पूरा फायदा उठा सकेंगे।
पूर्व में, जब कर्मचारी वापस लौटते थे, तो उन्हें यह धनराशि या तो वापस नहीं मिल पाती थी या बहुत मुश्किल से मिलती थी, लेकिन अब यह प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी।
एक कदम और आगे वैश्विक स्तर पर अधिकारों की सुरक्षा
भारत सरकार का यह कदम न केवल भारतीय कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा देने का एक जरिया बनेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि उनका सामाजिक सुरक्षा फंड सुरक्षित और सही तरीके से संचालित हो।
भारत के श्रम मंत्री ने यह भी बताया कि भारतीय कर्मचारियों के लिए एक सशक्त प्रणाली बनाने के लिए सरकार निरंतर काम कर रही है। यह कदम वैश्विक भारतीय कर्मचारियों के लिए एक सकारात्मक बदलाव होगा, जो लंबे समय तक असर डालने वाला साबित होगा।
भारत सरकार की यह पहल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके भविष्य को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल कर्मचारियों को आराम मिलेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार में भारत का प्रभाव भी मजबूत होगा।