EPF Interest: 7 करोड़ EPF कर्मचारियों को मोदी सरकार का झटका, नहीं बढ़ाई ब्याज दर

सरकार ने 2024-25 के लिए EPF की ब्याज दर 8.25% पर ही रखी है, जिससे करोड़ों कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। महंगाई के इस दौर में जहां ज्यादा रिटर्न की उम्मीद थी, वहीं ब्याज दर स्थिर रहना आपकी बचत और भविष्य की योजनाओं पर असर डाल सकता है।

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Written by Rohit Kumar

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सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) की ब्याज दर को 8.25% पर यथावत रखने का फैसला किया है। यह फैसला ईपीएफओ (EPFO) की 237वीं बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने की थी।

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EPF Interest: 7 करोड़ EPF कर्मचारियों को मोदी सरकार का झटका, नहीं बढ़ाई ब्याज दर

इस फैसले से देशभर में सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी क्षेत्र में कार्यरत लगभग 7 करोड़ कर्मचारियों को झटका लगा है, जो इस वर्ष ब्याज दर में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे थे।

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श्रम मंत्रालय को मिली मंजूरी

श्रम मंत्रालय के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और EPF खाताधारकों को 2024-25 के लिए 8.25% ब्याज ही मिलेगा। अब यह ब्याज दर आधिकारिक रूप से प्रभावी हो गई है और उसी के अनुसार खातों में ब्याज जमा किया जाएगा।

लगातार स्थिर बनी हुई ब्याज दरें

पिछले कुछ वर्षों से EPF की ब्याज दरों में बहुत कम बदलाव हुआ है:

  • 2023-24: 8.25%
  • 2022-23: 8.15%
  • 2021-22: 8.1% (चार दशकों का न्यूनतम स्तर)
  • 2020-21: 8.5%

यह स्पष्ट है कि ब्याज दरें लगातार स्थिर बनी हुई हैं, जिससे रिटर्न पर असर पड़ रहा है, खासतौर पर बढ़ती महंगाई के दौर में।

क्या होगा असर?

EPF पर ब्याज दर में बढ़ोतरी न होने से कर्मचारियों की लॉन्ग टर्म सेविंग्स पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। जहां एक ओर महंगाई तेजी से बढ़ रही है, वहीं EPF जैसी सरक्षित निवेश योजना का रिटर्न स्थिर रहना निवेशकों को अपने फाइनेंशियल गोल्स पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है।

राहत या निराशा?

हालांकि EPF की ब्याज दरें अन्य सुरक्षित निवेश विकल्पों से बेहतर मानी जाती हैं, लेकिन हर साल लाखों कर्मचारियों को इससे ब्याज में बढ़ोतरी की उम्मीद रहती है, जो इस बार भी पूरी नहीं हुई।

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