
पति की मृत्यु के बाद पत्नी को मिलने वाली पेंशन न केवल आर्थिक सहारा बनती है बल्कि जीवन को स्थिरता भी देती है। लेकिन कई बार जानकारी के अभाव में विधवाएं अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। यह पेंशन अलग-अलग नियमों के अनुसार तय होती है—सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो या फिर निजी क्षेत्र में कार्यरत व्यक्ति की। ऐसे में पेंशन की गणना और पात्रता को समझना जरूरी हो जाता है ताकि बाद में पछताना न पड़े।
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सरकारी कर्मचारी की मृत्यु पर पेंशन नियम कैसे लागू होते हैं
यदि पति एक सरकारी कर्मचारी थे और उनकी मृत्यु सेवा के दौरान या सेवानिवृत्ति के 7 वर्षों के भीतर होती है, तो पत्नी को पारिवारिक पेंशन का अधिकार मिल जाता है। इस स्थिति में शुरुआत के 10 वर्षों तक अंतिम वेतन का 50% और उसके बाद जीवनभर 30% पेंशन दी जाती है। मान लीजिए यदि अंतिम वेतन ₹50,000 था, तो 10 वर्षों तक पत्नी को ₹25,000 और फिर जीवनभर ₹15,000 प्रति माह मिल सकता है। यह पूरी व्यवस्था केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों के अंतर्गत आती है।
निजी क्षेत्र के कर्मचारी की मृत्यु
निजी क्षेत्र के कर्मचारी की मृत्यु होने पर यदि वह कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-EPFO के अंतर्गत पंजीकृत था और कर्मचारी पेंशन योजना-EPS-95 में 10 साल या उससे अधिक सेवा दे चुका था, तो पत्नी को विधवा पेंशन मिलती है। इस योजना के तहत न्यूनतम पेंशन ₹1,000 प्रति माह निर्धारित है, जिसे बढ़ाकर ₹7,500 करने की मांग की जा रही है। वास्तविक राशि कर्मचारी के वेतन और सेवा अवधि पर आधारित होती है, और यह सीधे पत्नी के खाते में ट्रांसफर की जाती है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना का लाभ कैसे मिलता है
यदि पति की मृत्यु के बाद पत्नी गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन व्यतीत कर रही हो और उसकी उम्र 40 से 79 वर्ष के बीच हो, तो वह केंद्र सरकार द्वारा संचालित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (IGNWPS) की पात्र होती है। इस योजना के अंतर्गत ₹300 प्रति माह की पेंशन दी जाती है। कुछ राज्यों में इसमें राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त सहयोग भी जोड़ा जाता है, जिससे कुल पेंशन राशि बढ़ जाती है।
पेंशन के लिए दस्तावेज और प्रक्रिया क्या होती है
पति की मृत्यु के बाद पत्नी को पेंशन प्राप्त करने के लिए कई अहम दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, जैसे मृत्यु प्रमाण पत्र, पेंशन भुगतान आदेश-PPO, आधार कार्ड, बैंक पासबुक और विवाह प्रमाण पत्र। यदि बैंक खाता पति के साथ संयुक्त नहीं था, तो पत्नी को अपना खाता पेंशन बैंक में खोलना पड़ता है। दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया पूरी होते ही पेंशन की प्रक्रिया शुरू होती है।
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