राज्य सरकार के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी कितनी मिलती है? जानिए सेवा अवधि और सैलरी के अनुसार कैलकुलेशन – Gratuity for State Employees

क्या आप जानते हैं आपकी सेवा अवधि और वेतन पर कितनी ग्रेच्युटी बनती है? जानिए कैलकुलेशन का आसान तरीका, कब मिलती है टैक्स छूट और किन स्थितियों में बिना 5 साल की सेवा के भी मिल सकती है पूरी राशि!

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Written by Rohit Kumar

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राज्य कर्मचारियों को कितनी मिलती है ग्रेच्युटी? जानिए पूरा कैलकुलेशन

राज्य सरकार के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी-Gratuity एक महत्वपूर्ण सेवानिवृत्ति लाभ के रूप में प्रदान की जाती है। यह न केवल उनकी दी गई सेवाओं के लिए एक वित्तीय सम्मान है, बल्कि सेवानिवृत्ति के बाद एक आवश्यक सुरक्षा कवच भी बनता है। ग्रेच्युटी की राशि कर्मचारी की सेवा अवधि और अंतिम आहरित वेतन के आधार पर तय होती है, जिससे यह एक पारदर्शी और गणनात्मक प्रक्रिया बन जाती है।

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ग्रेच्युटी की पात्रता और आवश्यक सेवा अवधि

राज्य सरकार के किसी भी नियमित कर्मचारी को ग्रेच्युटी तभी दी जाती है जब उसने कम से कम 5 वर्षों की निरंतर सेवा पूरी कर ली हो। हालाँकि, यदि कर्मचारी की सेवा मृत्यु या पूर्ण विकलांगता के कारण समाप्त होती है, तो 5 वर्षों की न्यूनतम सीमा अनिवार्य नहीं होती। यह व्यवस्था कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए बनाई गई है।

ग्रेच्युटी की गणना का तरीका और उदाहरण

ग्रेच्युटी की गणना के लिए सरकार द्वारा निर्धारित एक मानक सूत्र लागू होता है। यह है: (सेवा के पूर्ण वर्षों की संख्या × अंतिम मूल वेतन + महंगाई भत्ता × 15) ÷ 26। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी ने 20 वर्ष की सेवा दी है और उनका अंतिम वेतन (मूल + DA) ₹60,000 है, तो ग्रेच्युटी लगभग ₹6,92,308 होगी। इस तरह से हर कर्मचारी अपनी सेवा अवधि और वेतन के अनुसार अपनी अनुमानित ग्रेच्युटी का आंकलन कर सकता है।

ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा और संशोधन

राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों के लिए अधिकतम ग्रेच्युटी की सीमा ₹20 लाख तय की गई है। यह सीमा समय-समय पर महंगाई और वेतन संशोधन के आधार पर बढ़ाई जा सकती है। सातवें वेतन आयोग के बाद यह सीमा बढ़ाई गई थी, जिससे कर्मचारियों को अधिक लाभ मिल सका।

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मृत्यु और विकलांगता की स्थिति में विशेष प्रावधान

अगर कोई कर्मचारी सेवा के दौरान मृत्यु या स्थायी विकलांगता का शिकार होता है, तो ग्रेच्युटी की पात्रता के लिए पांच साल की सेवा की बाध्यता नहीं होती। इस स्थिति में सेवा की अवधि के आधार पर ग्रेच्युटी की गणना की जाती है, जो 2 गुना से लेकर 33 गुना तक के मूल वेतन तक जा सकती है। यह प्रावधान उनके परिवार के लिए वित्तीय सहारा बनता है।

आयकर छूट और ग्रेच्युटी पर कर नियम

राज्य सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेच्युटी पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है। आयकर अधिनियम की धारा 10(10) के तहत यह छूट दी गई है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी कर्मचारी को ₹20 लाख या उससे कम ग्रेच्युटी मिलती है, तो उस पर किसी प्रकार का आयकर नहीं लगेगा।

ग्रेच्युटी भुगतान की प्रक्रिया और समयसीमा

सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को संबंधित विभाग में ग्रेच्युटी के लिए आवेदन करना होता है। आवेदन के बाद अधिकतम 30 दिनों के भीतर भुगतान किया जाना अनिवार्य होता है। यदि देरी होती है तो उस पर विभाग को ब्याज भी देना होता है। यह नियम सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी को उसका हक समय पर मिले।

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