
सरकारी नौकरी की सैलरी संरचना में ग्रेड पे-Grade Pay एक समय में बेहद अहम हिस्सा था, खासकर छठे वेतन आयोग तक। ग्रेड पे, बेसिक सैलरी के साथ जुड़ने वाली एक तय राशि होती थी, जो किसी कर्मचारी के पद, अनुभव और जिम्मेदारियों के अनुसार तय की जाती थी। यह सीधे तौर पर कर्मचारी के कुल वेतन और उसकी भविष्य की पदोन्नति को प्रभावित करता था। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का बेसिक वेतन ₹9,300 था और ग्रेड पे ₹4,200 था, तो उसकी कुल बेसिक पे ₹13,500 हो जाती थी, जिस पर DA, HRA और अन्य भत्ते लागू होते थे।
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ग्रेड पे का कुल वेतन पर असर
ग्रेड पे का सबसे बड़ा प्रभाव कुल वेतन (Gross Salary) पर पड़ता था, क्योंकि इसी आधार पर महंगाई भत्ता (Dearness Allowance), ट्रैवल भत्ता और हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance) जैसे लाभ तय होते थे। इसलिए अगर कर्मचारी का ग्रेड पे बढ़ता था, तो उसके सभी भत्तों की गणना भी बढ़ी हुई राशि पर होती थी। ग्रेड पे जितना अधिक, कुल वेतन उतना ज्यादा। यही वजह थी कि कर्मचारी ग्रेड पे बढ़ने का बेसब्री से इंतजार करते थे।
पदोन्नति में ग्रेड पे की भूमिका
सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति में ग्रेड पे की बड़ी भूमिका होती थी। पदोन्नति मिलने पर केवल designation ही नहीं बदलता था, बल्कि ग्रेड पे भी ऊपर के स्तर पर चला जाता था। जैसे ₹2,800 ग्रेड पे से ₹4,200 या ₹4,600 तक जाना, वेतन वृद्धि के साथ-साथ पद की जिम्मेदारियों में भी बदलाव लाता था। इससे न केवल उनकी सैलरी बढ़ती थी, बल्कि भविष्य की पेंशन और लाभ भी प्रभावित होते थे।
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पे मैट्रिक्स प्रणाली: ग्रेड पे का अंत
सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के लागू होने के बाद ग्रेड पे प्रणाली को समाप्त कर दिया गया और इसकी जगह पे मैट्रिक्स (Pay Matrix) प्रणाली लाई गई। इसमें ग्रेड पे की जगह ‘लेवल’ सिस्टम लाया गया, जिसमें हर लेवल के लिए एक निर्धारित वेतनमान होता है। यह प्रणाली अधिक पारदर्शिता और सरलता के उद्देश्य से बनाई गई ताकि कर्मचारियों को यह समझने में आसानी हो कि उनका वेतन और प्रमोशन किस आधार पर तय होता है।
पे मैट्रिक्स कैसे काम करता है
पे मैट्रिक्स में हर लेवल के लिए एक प्रारंभिक सैलरी और वार्षिक वेतन वृद्धि (Annual Increment) निर्धारित होती है। जैसे-जैसे कर्मचारी का अनुभव और सेवा काल बढ़ता है, वह उसी लेवल में ऊपर की सैलरी स्लैब में बढ़ता जाता है। उदाहरण के लिए, लेवल-6 में शुरुआती वेतन ₹35,400 होता है और यह क्रमशः बढ़कर ₹1,12,400 तक जा सकता है। इस प्रणाली में ट्रांसपेरेंसी अधिक है और ग्रेड पे की तरह अलग-अलग वर्गीकरण की आवश्यकता नहीं होती।
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