
केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को लेकर चर्चा एक बार फिर गर्म हो गई है, खासकर जब से 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन की संभावना पर सवाल उठ रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों के बीच इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि क्या 8वें वेतन आयोग का गठन होगा या फिर सरकार कोई नया तरीका अपनाएगी।
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में स्पष्ट किया कि फिलहाल 8वें वेतन आयोग के गठन पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है और सरकार इस बार कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के लिए कुछ अलग तरीका अपना सकती है।
क्या वाकई 8वें वेतन आयोग का गठन होगा?
अब तक सरकार की तरफ से इस मामले में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। सामान्यत: प्रत्येक 10 साल पर एक नया वेतन आयोग गठित किया जाता है। अगर यह ट्रेंड जारी रहता है, तो संभावना जताई जा रही है कि 2026 तक 8वें वेतन आयोग का गठन हो सकता है, हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। कुछ उच्च सरकारी अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि इस बार सरकार परफॉर्मेंस-बेस्ड सिस्टम को अपनाकर कर्मचारियों की सैलरी बढ़ा सकती है। हालांकि, इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, और कर्मचारी इस पर असमंजस में हैं।
क्या नया सिस्टम ले लेगा वेतन आयोग की जगह?
हाल ही में वित्त मंत्रालय ने संसद में कहा था कि फिलहाल 8वें वेतन आयोग को लेकर कोई योजना नहीं है। इस बात के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या सरकार वेतन बढ़ाने के लिए एक नया सिस्टम लागू कर सकती है। यदि ऐसा होता है, तो यह सिस्टम महंगाई दर के आधार पर काम कर सकता है या फिर परफॉर्मेंस को आधार बना सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कर्मचारियों को सैलरी एडजस्टमेंट के लिए 10 साल तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, इस बारे में फिलहाल कोई स्पष्ट और आधिकारिक जानकारी नहीं है।
किन सिफारिशों को ला सकता है 8वां वेतन आयोग?
यदि 8वां वेतन आयोग गठित होता है, तो कर्मचारियों को कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की उम्मीद हो सकती है। सबसे पहले, यूनियनें न्यूनतम वेतन को 18,000 रुपये से बढ़ाकर 26,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति माह करने की मांग कर रही हैं, जिससे बढ़ती महंगाई और जीवनयापन की लागत को ध्यान में रखा जा सके। वर्तमान में फिटमेंट फैक्टर 2.57 है, लेकिन इसे बढ़ाकर 3.5 या 3.8 किया जा सकता है, ताकि कर्मचारियों की सैलरी का अधिक समायोजन किया जा सके।
महंगाई भत्ते (DA) में भी बदलाव हो सकता है। वर्तमान में कर्मचारियों को साल में दो बार DA दिया जाता है, और नए आयोग की सिफारिशें मुद्रास्फीति के प्रति अधिक प्रतिक्रिया देने वाली हो सकती हैं। पेंशन में भी बदलाव की संभावना जताई जा रही है, खासकर उन पेंशनभोगियों के लिए जो सातवें वेतन आयोग से पहले सेवानिवृत्त हुए थे। पेंशन में समानता की मांग लंबे समय से की जा रही है, और यदि यह लागू होता है, तो इससे पेंशनधारकों को काफी लाभ होगा।
वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करना महंगा है
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद सरकारी खर्च में सालाना 1 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी, और 8वें वेतन आयोग के गठन से कुछ ऐसा ही असर हो सकता है। इसका प्रभाव सार्वजनिक वित्त पर पड़ेगा, और इससे सरकार को अतिरिक्त खर्चों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, एक अच्छी बात यह हो सकती है कि इसका सकारात्मक प्रभाव उपभोक्ता खर्च (consumer spending) पर पड़ सकता है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ सकती है, और इससे अर्थव्यवस्था को मदद मिल सकती है।
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सरकार का रुख
फिलहाल आठवें वेतन आयोग को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है। सरकार अभी भी इस मामले पर विचार कर रही है कि क्या पुराने तरीके को जारी रखा जाए या फिर नए सिस्टम को लागू किया जाए। हालांकि, जैसा कि देखा गया है, सरकार समय-समय पर कर्मचारियों की सैलरी में वृद्धि के लिए नई योजनाओं पर विचार करती रही है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस बार किस दिशा में कदम उठाती है। क्या वेतन आयोग के स्थान पर परफॉर्मेंस-बेस्ड सिस्टम लागू किया जाएगा, या फिर पुराने रिवाज के अनुसार एक नया वेतन आयोग गठित किया जाएगा? यह फैसला आने वाले महीनों में ही स्पष्ट होगा।
सरकार के कदम की प्रतीक्षा
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग का गठन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। हालांकि सरकार ने फिलहाल इस मामले पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन कर्मचारियों की सैलरी में सुधार और अन्य लाभों के लिए सरकार कुछ नए उपायों पर विचार कर सकती है। फिलहाल कर्मचारियों को लंबे वक्त से इस गुड न्यूज का इंतजार है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस दिशा में कदम उठाती है।