केंद्र सरकार के एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की मांग अब तेजी से उठ रही है। कर्मचारी संगठन चाहते हैं कि सरकार उनके वेतन, भत्ते और पेंशन की जल्द समीक्षा करने के लिए आठवां वेतन आयोग गठित करें।
कर्मचारी संगठनों की मांग
नेशनल काउंसिल (स्टाफ साइड) जॉइंट कंसलटेटिव मशीनरी फॉर सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने सरकार को पत्र लिखकर इस मांग को दोहराया है। उनका कहना है कि वेतन आयोग का गठन हर 10 साल में होता है और इसलिए साल 2026 में 8th Pay Commission का गठन होना चाहिए।
वेतन आयोग का महत्व
वेतन आयोग का गठन सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे, भत्तों और लाभों की समीक्षा कर उनमें बदलाव की सिफारिश करने के लिए किया जाता है। यह आयोग मुद्रा स्फीति जैसे बाहरी कारकों पर विचार करते हुए आवश्यक समायोजन का प्रस्ताव करता है। हर 10 साल में यह आयोग बैठक करता है और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
सातवें वेतन आयोग का इतिहास
28 फरवरी 2014 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सातवें वेतन आयोग का गठन किया था। आयोग ने 19 नवंबर 2015 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी और इसकी सिफारिशों को 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया था।
8th Pay Commission की संभावनाएँ
आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन अनुमान है कि इसका गठन 1 जनवरी 2026 तक किया जाएगा। आठवें वेतन आयोग में कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 25 से 35 प्रतिशत इजाफा होने का अनुमान है, जिससे न्यूनतम बेसिक सैलरी ₹25,000 हो सकती है।
आर्थिक परिस्थितियाँ और कर्मचारी संगठन
शिव गोपाल मिश्रा ने अपने पत्र में मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए नए वेतन आयोग के तत्काल गठन की मांग की है। उन्होंने बताया कि 2015 के बाद से सरकारी राजस्व दोगुना हो गया है और टैक्स कलेक्शन में भी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में महंगाई के हिसाब से वृद्धि नहीं हुई है।
सरकार का फैसला और भविष्य की दिशा
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस पर क्या फैसला लेती है। कर्मचारियों की मांग जायज है और उनकी वेतन समीक्षा मौजूदा आर्थिक स्थिति के हिसाब से आवश्यक है।