EPS 95: भारतीय कर्मचारी पेंशन योजना (EPS 95) के तहत न्यूनतम पेंशन की मांग अब एक व्यापक राजनीतिक मुद्दा बन गई है, जिसका असर सीधे तौर पर चुनावी परिणामों पर पड़ने की संभावना है। मुंबई के आजाद मैदान में होने जा रही इस बड़ी रैली की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आयोजित की जा रही है।
न्यूनतम पेंशन की मांग
पेंशनभोगियों की मुख्य मांग है कि न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए प्रति माह की जाए, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके। इस मांग को लेकर पेंशनभोगियों में बढ़ती नाराजगी के चलते बड़े पैमाने पर रैलियां और प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और परिणाम
यह आंदोलन राजनीतिक दलों के लिए एक चुनौती के रूप में उभरा है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि केंद्र सरकार और भाजपा इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने में विफल रहती है, तो यह उनके लिए विधानसभा चुनावों में हार का कारण बन सकता है।
संघर्ष समिति की भूमिका
EPS 95 पेंशनर्स राष्ट्रीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत की अगुवाई में, पेंशनभोगियों को एकजुट करने के लिए विभिन्न प्रकार के सोशल मीडिया अभियान चलाए जा रहे हैं। इसका मकसद पेंशनभोगियों को जागरूक करना और उन्हें आंदोलन में शामिल करना है।
व्यापक प्रभाव
यह मुद्दा केवल पेंशनभोगियों के बीच ही नहीं, बल्कि व्यापक समाजिक-आर्थिक संदर्भ में भी उल्लेखनीय है। यह दर्शाता है कि किस तरह से सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे राजनीतिक दलों के लिए चुनौती और अवसर दोनों ही प्रदान करते हैं।
मुंबई में आयोजित होने वाली इस रैली की महत्वपूर्णता न केवल पेंशनभोगियों के लिए है, बल्कि यह राजनीतिक दलों के लिए भी एक टेस्ट केस की तरह है, जिसमें उनके वादों और कार्यों की परख की जाएगी। इस आंदोलन के परिणाम आने वाले चुनावों में उनकी सफलता या विफलता का संकेत दे सकते हैं।
Modi government is purposely ignoring the demond of eps95 pensioners, which is going on since last 10 years, because they have diverted the funds towards business community…. He is in no mood to entertain such matters and giving only assurances with their entire officials…. According to me no hope is expected from him anymore, he had now failed and became ruthless in power ….