OPS Update: देश में पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की मांग जोर पकड़ रही है। सरकारी कर्मचारी संगठन केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि उन्हें गारंटीकृत पुरानी पेंशन चाहिए, जबकि सरकार फिलहाल नई पेंशन योजना (NPS) में सुधार की दिशा में विचार कर रही है।
15 जुलाई को वित्त मंत्रालय की कमेटी ने स्टाफ साइड ‘ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी’ (JCM) के प्रतिनिधियों से इस मुद्दे पर चर्चा की थी, लेकिन कर्मचारी संगठनों ने उस बैठक में सरकार की ओर से प्रस्तुत प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया था। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शनिवार को राष्ट्रीय परिषद (JCM) के प्रतिनिधियों से इस पर सीधी बातचीत करेंगे।
पुरानी पेंशन की मांग पर अड़े कर्मचारी संगठन
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार केवल NPS में सुधार पर चर्चा करना चाहती है, जबकि उनकी मुख्य मांग OPS की बहाली है। नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल का कहना है कि कर्मचारी केवल गारंटीकृत पेंशन सिस्टम चाहते हैं। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया है कि कैसे NPS को OPS में परिवर्तित किया जा सकता है, जिससे सरकार हर साल एक लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकती है।
इस मामले में डॉ. पटेल के अनुसार, पुरानी पेंशन योजना को 1 जनवरी 2004 से खत्म कर दिया गया था और इसके स्थान पर NPS को लागू किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य सरकारी खजाने पर बोझ को कम करना था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न राज्यों और केंद्र स्तर पर कर्मचारियों ने इस नई पेंशन व्यवस्था के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया है।
इन राज्यों ने लिया OPS लागू करने का निर्णय
कई राज्यों ने इस संबंध में कमेटियां गठित की हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों ने OPS को फिर से लागू करने का निर्णय लिया है। इस बीच, केंद्र सरकार ने भी अप्रैल 2023 में NPS की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया था, हालांकि उसकी रिपोर्ट अभी तक जारी नहीं हुई है।
पुरानी और नई पेंशन व्यवस्था में अंतर
डॉ. मंजीत पटेल के अनुसार, पुरानी और नई पेंशन योजनाओं के बीच मुख्य अंतर को समझना आवश्यक है। पुरानी पेंशन योजना में सरकार कर्मचारियों को जीपीएफ के नाम से न्यूनतम 7% ब्याज देती थी और रिटायरमेंट के बाद अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था।
इसके विपरीत, NPS के तहत कर्मचारियों के वेतन से 10% का अंशदान काटा जाता है और सरकार भी 14% का योगदान देती है, जिसे विभिन्न वित्तीय संस्थानों द्वारा निवेश किया जाता है। हालांकि, NPS के तहत कोई ब्याज की गारंटी नहीं है और सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के लिए कॉर्पस की निर्भरता रहती है, जिससे कई कर्मचारियों को बहुत कम पेंशन मिल रही है।
NPS में सुधार की संभावनाएं
डॉ. पटेल का सुझाव है कि NPS को OPS के समान बनाया जा सकता है। उनका कहना है कि यदि सरकार NPS में कर्मचारियों और सरकार के अंशदान को अलग-अलग रखे और GPF की तरह फिक्स ब्याज की गारंटी दे, तो यह सुधार संभव है। इस प्रस्ताव से कर्मचारियों को अपने अंशदान को बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा और इससे देश की मार्केट लिक्विडिटी और इन्वेस्टमेंट को अप्रत्याशित बढ़ावा मिलेगा।
सालाना 1 लाख करोड़ रुपये की होगी बचत
डॉ. पटेल के अनुसार, सरकार अगर NPS में कर्मचारियों को 50% पेंशन की गारंटी दे दे, तो यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि रिटायरमेंट के बाद सरकार को उसका अंशदान वापस मिल सके। इससे पेंशन फंड की स्थायित्वता बनी रहेगी और सरकार के फंड में प्रति वर्ष 1 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
इस बहस के बीच यह देखना होगा कि क्या सरकार कर्मचारी संगठनों की मांगों को स्वीकार करेगी या NPS में सुधार के रास्ते पर ही आगे बढ़ेगी। फिलहाल, यह बैठक महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, जो दोनों पक्षों के बीच समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।