
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने हाल ही में प्रो-राटा नियम के तहत EPS (Employee Pension Scheme) पेंशन की गणना की नई प्रक्रिया को मंजूरी दी है। यह कदम पेंशन वितरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी और कर्मचारियों की सेवा अवधि के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस नए नियम के तहत पेंशन की गणना वेतन सीमा और सेवा अवधि के आधार पर की जाएगी, जिससे कर्मचारियों को उनके योगदान के अनुसार पेंशन मिलने की गारंटी होगी।
क्या है प्रो-राटा नियम?
प्रो-राटा नियम एक अनुपातिक गणना पद्धति है, जिसके तहत कर्मचारियों की सेवा अवधि को दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है। यह नियम 1 सितंबर 2014 से लागू है और उन सभी कर्मचारियों पर लागू होता है जिन्होंने अपनी पीएफ राशि नियमित रूप से जमा की है।
- पहली अवधि: नवंबर 1995 से अगस्त 2014 के बीच के योगदान पर आधारित है, जिसमें वेतन सीमा ₹6,500 रखी गई है।
- दूसरी अवधि: सितंबर 2014 के बाद के योगदान पर आधारित है, जिसमें वेतन सीमा ₹15,000 लागू होती है।
इस नई प्रणाली का उद्देश्य है कि पेंशन की गणना अधिक सटीक और निष्पक्ष हो। हालांकि, हायर पेंशन योजना में शामिल कर्मचारियों पर यह सीमा लागू नहीं होगी, लेकिन उनके लिए पेंशन की गणना दो भागों में विभाजित होने से संभावित रूप से पेंशन राशि कम हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और श्रम मंत्रालय की भूमिका
श्रम मंत्रालय ने प्रो-राटा नियम के खिलाफ उठाई गई चिंताओं को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट किया है कि यह प्रणाली सभी हितधारकों के लिए पारदर्शिता और समता सुनिश्चित करेगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2022 में ट्रस्ट द्वारा सुझाए गए उपनियमों को मान्यता नहीं दी, जिसके कारण नए दिशा-निर्देश जारी करने की आवश्यकता पड़ी।
हायर पेंशन योजना के लिए अतिरिक्त दिशानिर्देश
हायर पेंशन योजना से जुड़े कर्मचारियों के लिए नए निर्देश जारी किए गए हैं:
- जिन संगठनों के पास अपने पीएफ ट्रस्ट हैं, उनके कर्मचारियों की हायर पेंशन पात्रता संबंधित ट्रस्ट के नियमों पर आधारित होगी।
- कर्मचारी हायर पेंशन के लिए तभी पात्र होंगे जब अतिरिक्त योगदान प्राप्त होगा।
- लंबित बकाया राशि को उसी महीने के वेतन के साथ समायोजित किया जाएगा।
- धारा 14-बी के तहत कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा, लेकिन बकाया राशि पर ब्याज लिया जाएगा।
समय सीमा का निर्धारण और कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (CPF) ने निर्देश दिया है कि सभी हायर पेंशन आवेदनों का निपटान 7 फरवरी 2024 तक किया जाए। सत्यापित आवेदनों के लिए 24 जनवरी तक पेंशन भुगतान आदेश (PPO) जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। जिन कार्यालयों में 5,000 से कम आवेदन हैं, उन्हें भी समय सीमा का पालन करना होगा। प्रक्रिया पूरी न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
समस्या का समाधान और दक्षता बढ़ाने की दिशा में कदम
CPF आयुक्त ने आवेदनों के समय पर निपटान में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने इस देरी को रोकने और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए:
- समय पर दिशानिर्देश जारी करना।
- अतिरिक्त डेटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति।
- केंद्रीय कार्यालय पर निर्भरता कम करना।
- कार्यों को प्राथमिकता देना और तय समय सीमा में पूरा करना।
कर्मचारियों के लिए यह कदम क्यों है महत्वपूर्ण?
यह नियम न केवल कर्मचारियों की पेंशन प्रणाली में पारदर्शिता लाता है बल्कि उन्हें उनके योगदान के अनुसार पेंशन राशि प्रदान करने में भी मदद करता है। साथ ही, श्रमिकों को उनकी सेवा अवधि और वेतन सीमा के आधार पर न्यायसंगत लाभ मिलने का भरोसा दिलाता है।