OPS Update: केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल 2025 से ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (UPS) के कार्यान्वयन की घोषणा के बाद से ही भारतीय पेंशन प्रणाली में एक नया अध्याय जुड़ गया है। इस नई योजना का उद्देश्य NPS में सुधार करना है, लेकिन यह घोषणा केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठनों के बीच असंतोष की लहर उत्पन्न कर दी है।
कर्मचारी संगठनों को हो रही कठिनाई
केंद्र सरकार द्वारा इस नई योजना की आलोचना का मुख्य कारण टीवी सोमनाथन NPS रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट को गुप्त रखना है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इस रिपोर्ट के सार्वजनिक न होने से उन्हें यह समझने में कठिनाई हो रही है कि UPS के अंतर्गत क्या परिवर्तन किए गए हैं और इससे उनके भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
असंतोष का कारण
इस विरोध की प्रमुख आवाज महाराष्ट्र राज्य जुनी पेंशन संघटना के सोशल मीडिया प्रमुख विनायक चौथे हैं, जिन्होंने RTI के माध्यम से इस रिपोर्ट की मांग की थी। वित्त मंत्रालय के जवाब में इसे RTI एक्ट के सेक्शन 8 (1) (i) के तहत गोपनीय बताया गया है, जिससे और भी ज्यादा असंतोष फैला है।
30 सितंबर तक नोटिफिकेशन हो जारी
‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने इस रिपोर्ट को गोपनीय रखने के निर्णय को अवांछित बताया और धमकी दी है कि यदि UPS का गजट नोटिफिकेशन 30 सितंबर तक जारी नहीं होता, तो जंतर-मंतर पर एक विशाल आंदोलन का आयोजन किया जाएगा।
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान भी इस योजना के खिलाफ उतर आए हैं, क्योंकि इस नई योजना के अनुसार, उन्हें 25 वर्ष की सेवा पूरी करने पर ही VRS (वोलंटरी रिटायरमेंट स्कीम) का लाभ मिलेगा, जो कि उनके लिए अनुचित माना जा रहा है।
निष्कर्ष
इस तरह, UPS के विरोध में कर्मचारी संगठनों की गतिविधियां न केवल उनकी चिंताओं को उजागर करती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि कैसे शासनिक निर्णयों के पारदर्शिता की कमी बड़े पैमाने पर असंतोष और अविश्वास को जन्म दे सकती है।
यह स्थिति सरकार और उसके कर्मचारियों के बीच संवाद की महत्वपूर्ण आवश्यकता को उजागर करती है, जिससे नीतियों के कार्यान्वयन में सहयोग और समर्थन सुनिश्चित हो सके।